जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई थी। इंटरनेट पर बैन की यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल और दिल्ली होते हुए उत्तर प्रदेश के कई शहरों तक पहुंच गई है। इस वक्त नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के मुद्दे पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इंटरनेट पर बैन का यह फैसला हिंसा फैलने से रोकने के लिए किया गया है।
दिल्ली और यूपी में इंटरनेट बैन का यह मामला अभूतपूर्व है। क्योंकि इससे पहले अन्ना हजारे के आंदोलन में भी लाखों लोग उमड़े थे, लेकिन इंटरनेट पर किसी तरह की रोकथाम नहीं थी। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत इंटरनेट शटडाउन के मामले में दुनिया का सबसे अग्रणी देश बन गया है। उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों में अभूतपूर्व कार्रवाई करते हुए इंटरनेट सेवा अस्थाई तौर पर बंद कर दी गयी है, वहीं पश्चिम बंगाल तथा कर्नाटक के कुछ संवेदनशील शहरों में भी इस तरह की कार्रवाई की गयी है।
यूपी के इन शहरों में इंटरनेट पर पाबंदी
दूरसंचार कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के आदेश के बाद लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, आगरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, वाराणसी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बरेली, फिरोजाबाद, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शामली, संभल, अमरोहा, मऊ, आजमगढ़ और सुल्तानपुर समेत कई बड़े शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गयी है। लखनऊ तथा गाजियाबाद समेत कुछ शहरों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गयी है।
उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने 19 दिसंबर को जारी आदेश में कहा कि एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसी संदेश प्रणालियों तथा फेसबुक एवं यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया प्रणालियों का इस्तेमाल भावना भड़काने वाली तस्वीरें, वीडियो और संदेश भेजने के लिए व्यापक तौर पर होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर मैसेजिंग प्लेटफॉर्म तथा इंटरनेट के संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए एवं शहर के अमन चैन को बनाये रखने के लिए सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की एसएमएस संदेश और मोबाइल इंटरनेट-डेटा सेवाएं को 19 दिसंबर अपराह्न तीन बजे से अगले 45 घंटे के लिए अस्थाई रूप से टालने का आदेश दिया गया है।
पश्चिम बंगाल और कर्नाटक भी प्रभावित
पश्चिम बंगाल में इसी तरह की कार्रवाई के मद्देनजर मालदा, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, बरासात, उत्तरी दिनाजपुर, बरुईपुर, कानिंग एवं नदिया में मोबाइल इंटरनेट को रोक दिया गया है। कर्नाटक में दक्षिण कन्नड तथा मंगलोर शहर में इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गयी हैं।
दिल्ली में भी इंटरनेट पर रोक
राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में भी इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गयी है। तीनों बड़े सेवा प्रदाताओं भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया तथा रिलायंस जियो ने सरकार के निर्देश के बाद यह कार्रवाई की है। भारती एयरटेल के अध्यक्ष सुनील मित्तल ने गुरूवार को कहा था कि उनकी कंपनी ने इस संबंध में सरकार के निर्देशों का पालन किया है। इससे पहले राजधानी में दिल्ली पुलिस के आदेश पर इंटरनेट को इतने बड़े स्तर पर बंद नहीं किया गया। 2012 के निर्भया कांड के बाद भी राजधानी में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए थे। उससे पहले अन्ना हजारे के आंदोलन में भी लाखों लोग उमड़े थे, लेकिन इंटरनेट पर किसी तरह की रोकथाम नहीं थी।
जम्मू-कश्मीर में सबसे लंबे समय का शटडाउन
राज्यों के हिसाब से देखा जाए तो 2012 से 2019 में अब तक सबसे ज्यादा कश्मीर में इंटरनेट बंद रहा है। यहां 5 अगस्त को इंटरनेट बंद किया गया था, जो अभी चालू नहीं हुआ है। यानी कि कश्मीर में 136 दिन से इंटरनेट बंद है।
2012 से 2019 तक इंटरनेट बंद किए जाने वाले टॉप 5 राज्यों में जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, यूपी, हरियाणा, बिहार और गुजरात शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर में 180 बार, राजस्थान में 67 बार, यूपी में 20 बार, हरियाणा में 13 बार, बिहार में 11 बार और गुजरात में 11 बार इंटरनेट बंद हुआ। वहीं, 2012 से 2019 के बीच देश भर में कुल 367 बार इंटरनेट सस्पेंड हुआ है।
हुआ आर्थिक नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक देश के सभी राज्यों में वर्ष 2012 से 2017 के बीच इंटरनेट बंद होने से 3 अरब डॉलर (तकरीबन 21 हजार करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान हुआ है। राज्यों की बात करें सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान इंटरनेट बंद किए जाने पर गुजरात को हुआ है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर को 610.2 मिलियन डॉलर, हरियाणा को 429.2 मिलियन डॉलर, राजस्थान को 182.9 मिलियन डॉलर, यूपी को 53 मिलियन डॉलर और बिहार को 51.9 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। 2012 से 2017 के बीच इंटरनेट बैन होने से सभी राज्यों का कुल आर्थिक नुकसान 3 बिलियन डॉलर रहा। बता दें कि जम्मू-कश्मीर का डेटा उसके विभाजन से पहले का है।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर