नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ लेकर देश के कई शहरों में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने एनआरसी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में साफ कर कर दिया है कि आधार से किसी भी नागरिक की नागरिकता तय नहीं होगी। बता दें, सीएए को लेकर हो रहे विरोध पर कई बार शाह छात्रों और लोगों से अपील कर चुके हैं कि इस सीएए को सावधानी पूर्वक पढ़ा जाए। यह कानून किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता पर सवाल नहीं खड़ा कर रहा है।
इकॉनोमिक्स टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में अमित शाह ने कहा, 'आधार से किसी भी नागरिक की नागरिकता कतई तय नहीं हो सकती है। आधार का एक अलग उद्देश्य है। एनआरसी बनाना ही चाहिए। उसके बनाने से किसी का अन्याय नहीं होने वाला है। जो इस देश के नागरिक हैं उसके साथ अन्याय नहीं होगा। मुस्लिमों को विश्वास दिलाता हूं कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा।'
उन्होंने कहा, 'सीएए कानून में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है, इसमें नागरिकता देने का प्रावधान है। नागरिकता पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हुए छह वहां के अल्पसंख्यक जोकि धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हैं, शरण लेकर आए हैं। उनके पास न कोई दस्तावेज है, न कोई ट्रेवल दस्तावेज है और नहीं पासपोर्ट है... और सालों से नर्क की जिंदगी जी रहे हैं। उन लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।'
इससे पहले सीएए को लेकर बढ़ते विरोध के बीच अमित शाह इस बात पर बल दे चुके हैं कि इसके क्रियान्वयन से पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया था कि वह संशोधित नागरिकता अधिनियम को लेकर ‘‘झूठा’’ अभियान चला रहा है और हिंदू-मुसलमानों के बीच खाई पैदा कर रहा है।
अमित शाह ने कांग्रेस के ऊपर सीएए के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि हम नागरिकता संशोधन अधिनियम लेकर आए हैं और कांग्रेस को पेट दर्द होने लगा है। वह उसके खिलाफ हिंसा भड़का रही है। शाह ने पूर्वोत्तर के लोगों को आश्वासन दिया था कि इस अधिनियम से उनकी संस्कृति, भाषा, सामाजिक पहचान और राजनीतिक अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।