सीमावर्ती राजस्थान, पाकिस्तान से आने वाले टिड्डी दलों के हमले की आशंका से परेशान

By भाषा | Updated: September 15, 2019 13:30 IST2019-09-15T13:30:15+5:302019-09-15T13:30:15+5:30

राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार हमेशा की तरह एक बार फिर इन टिड्डी दलों को जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर जिलों में देखा गया है। थार रेगिस्तान का यह इलाका पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सामने पड़ता है।

Burdened by the attack of locust parties coming from the border Rajasthan, Pakistan | सीमावर्ती राजस्थान, पाकिस्तान से आने वाले टिड्डी दलों के हमले की आशंका से परेशान

राज्य के चार सीमावर्ती जिलों में 1,38,585 हेक्टेयर जमीन उपचारित की जा चुकी है। इस इलाके में अब तक 96,748 लीटर दवा (मेलाथियान) छिड़की जा चुकी है।

Highlightsटिड्डी दलों की आमद की आशंका से राजस्थान के चार सीमावर्ती जिलों का सरकारी अमला एक बार फिर परेशान है200 कर्मचारियों-अधिकारियों का दल लगातार हालात पर निगाह बनाए हुए है।

पाकिस्तान से आकर फसल और वनस्पति को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डी दलों की आमद की आशंका से राजस्थान के चार सीमावर्ती जिलों का सरकारी अमला एक बार फिर परेशान है। इन जिलों में बीते चार महीने से टिड्डियों के हमले से बचाव के तौर पर 1.38 लाख हेक्टेयर इलाके को उपचारित किया जा चुका है और लगभग 200 कर्मचारियों-अधिकारियों का दल लगातार हालात पर निगाह बनाए हुए है।

अधिकारियों को उम्मीद है कि समय पर एहतियाती कदम उठाने से ये टिड्डियां ज्यादा नुकसान नहीं कर पाएंगी। राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार हमेशा की तरह एक बार फिर इन टिड्डी दलों को जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर जिलों में देखा गया है। थार रेगिस्तान का यह इलाका पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सामने पड़ता है।

राजस्थान के कृषि विभाग में संयुक्त निदेशक डॉ. सुआलाल जाट ने बताया कि जैसलमेर सीमा पर इन्हीं एक दो दिन में सीमापार से आए टिड्डी दल देखे गए हैं। उन्होंने बताया,‘‘ हमारी 47 टीमें इलाके को उपचारित करने में लगी हैं। इसके अलावा सर्वे के काम में 47 टीमें लगी हैं ताकि टिड्डी दलों के हमले से हालात बेकाबू नहीं हों।’’

एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या में टिड्डियां होती हैं और जहां भी यह दल पड़ाव डालता है वहां फसलों तथा अन्य वनस्पतियों को चट करता हुआ चला जाता है। टिड्डी (फाका) हमला राजस्थान के इन सीमावर्ती जिलों में हर साल होता है लेकिन इसका असर कम ज्यादा होता रहता है। इस बार पहला टिड्डी दल मई के आखिरी सप्ताह में देखा गया था। उसके बाद कृषि विभाग ने रात दिन अभियान चलाकर दवा छिड़की और इसका असर कम होता दिखा लेकिन एक बार फिर टिड्डी दल दिखने से अधिकारियों की पेशानी पर चिंता की लकीरे हैं।

डा. जाट ने बताया कि इस साल अब तक राज्य के चार सीमावर्ती जिलों में 1,38,585 हेक्टेयर जमीन उपचारित की जा चुकी है। इस इलाके में अब तक 96,748 लीटर दवा (मेलाथियान) छिड़की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 97 लोगों की 45 टीमें 44 वाहनों के साथ दवा छिड़कने का काम कर रही हैं जबकि 107 लोगों की 47 टीमें सर्वे आदि के काम में लगी हैं।

इस बीच कुछ मीडिया खबरों के अनुसार पाकिस्तान के स्तर पर टिडि्डयों पर लगाम लगाए जाने के प्रयास नहीं किए गए हैं इसलिए एक बार फिर टिड्डी दल राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों आ गए हैं। हालांकि अधिकारियों ने इस बारे में टिप्पणी से इनकार किया। टिड्डी दलों के हमले की तीव्रता समयावधि पर निर्भर करती है।

इससे पहले जुलाई अक्तूबर 1993 में टिड्डी दलों ने राजस्थान में बड़ा हमला किया था और हजारों हेक्टेयर में फसल तथा वनस्पति को साफ कर दिया था। उस साल कृषि विभाग ने 3,10,482 हेक्टेयर को उपचारित किया था। उसके बाद 1998 में टिड्डी दल ने यहां बड़ा नुकसान किया था। अधिकारियों को उम्मीद है कि समय पर प्रभावी कदम उठाने से संभवत: अब टिड्डियां ज्यादा नुकसान नहीं कर पाएंगी। 

 

 

 

Web Title: Burdened by the attack of locust parties coming from the border Rajasthan, Pakistan

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