Budget 2023: जानिए केंद्रीय बजट को लेकर एक्सपर्ट की राय
By अनुभा जैन | Published: February 1, 2023 07:09 PM2023-02-01T19:09:18+5:302023-02-01T19:09:18+5:30
लिथियम-ऑयन बैटरी निर्माण के लिए पूंजीगत वस्तुओं और मशीनरी को सीमा शुल्क में छूट की घोषणा से बैटरी की अंतिम कीमतों में कमी आएगी और इलेक्ट्रिक वाहन उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे।
Union Budget 2023: केंद्रीय बजट में 4 गीगावॉट बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए घोषित वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) सहायता और पंप्ड स्टोरेज हाइड्रो पर विशेष जोर, भारत को एनर्जी स्टोरेज के निर्धारित लक्ष्यों को पाने में मदद के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। यह बात काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के सीनियर प्रोग्राम लीड ऋषभ जैन ने कहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि वीजीएफ सहायता का लाभ प्रौद्योगिकी और उपकरणों के बारे में हमारी समझ बढ़ाने के लिए उठाया जाना चाहिए और इसे दीर्घकालिक सहायक उपकरण के रूप में नहीं लेना चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने कहा, लिथियम-ऑयन बैटरी निर्माण के लिए पूंजीगत वस्तुओं और मशीनरी को सीमा शुल्क में छूट की घोषणा से बैटरी की अंतिम कीमतों में कमी आएगी और इलेक्ट्रिक वाहन उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के विश्लेषण से पता चलता है कि बैटरी सेल निर्माण के लिए प्रमुख उपकरण आयात किए जाते हैं और उनकी हिस्सेदारी कुल बुनियादी ढांचे की लागत का 65-75 प्रतिशत होती है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए, सरकार को विदेशों से दुर्लभ खनिजों को प्राप्त करने और उनकी प्रोसेसिंग करने की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य तय करना चाहिए।
वहीं अपूर्व खंडेलवाल (सीनियर प्रोग्राम लीड, काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर) ने कहा कि वित्तमंत्री द्वारा पेश केंद्रीय बजट में प्राकृतिक खेती के लिए तीन प्रमुख घोषणाएं शामिल हैं, जो संभावित रूप से पोषण सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आजीविका में सुधार कर सकती हैं, और जलवायु लचीलापन (क्लाइमेट रिजीलियंस) भी ला सकती हैं।
उन्होंने कहा कि पहला, राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के माध्यम से अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों की सहायता की घोषणा है जो कि एक स्वागतयोग्य कदम है। इसे वर्षा आधारित क्षेत्र जैसे कम जोखिम व उच्च लाभ वाले क्षेत्रों में लक्षित करने की जरूरत है। इसके पूरक के रूप में विभिन्न परिस्थितियों में इसकी क्षमता और प्रभावों से जुड़े साक्ष्यों पर कठोरता से ध्यान देने की भी आवश्यकता है।
दूसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष में 'श्री अन्न' (बाजरा) को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद पहले से थी। सरकार को सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा करने के लिए भारतीय राज्यों के बीच एक-दूसरे से सीखने की दिशा में ध्यान देना चाहिए, खास तौर पर ओडिशा जैसे अग्रणी राज्यों से।
अंत में, पीएम-प्रणाम और योजनाओं के वित्तपोषण को 'इनपुट-आधारित' की जगह पर 'परिणाम-आधारित' बनाने के प्रयोगों से किसानों के चयन को आर्थिक रूप से लाभकारी, पोषण से भरपूर और पारिस्थितिक रूप से लचीली फसलों और कृषि पद्धतियों की तरफ मोड़ने के लिए प्रोत्साहन व जोखिम को नए आकार में ढालने की दिशा में एक रास्ता बना सकता है।