मोदी सरकार ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपनी हिस्सेदारी का एक बड़ा हिस्सा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिए बेचने की घोषणा की है। संसद में जैसे ही वित्त मंत्री ने यह घोषणा की थी वैसे ही विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया था।
एलआईसी कर्मचारी संघों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से सरकारी बीमा निगम में केंद्र के एक हिस्से को बेचने की योजना का शनिवार को विरोध किया और कहा कि यह पहल ‘‘देश हित के खिलाफ’’ है।
वित्त मंत्री ने आईडीबीआई बैंक में भी अपनी हिस्सेदारी बेचने की बात कही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि सरकार LIC में अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के जरिए बेचने का प्रस्ताव करती है। ऐसा करने से LIC में प्रावेटाइजेशन बढ़ेगा। विरोधकर्ताओं का ऐसा मानना है कि भविष्य में आम लोगों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। पॉलिसी महंगी भी हो सकती है।
आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचे जाने को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी निजी कारोबारियों को बेचेगी। सरकार आईडीबीआई बैंक में लगभग 46.5 फीसदी हिस्सेदारी रखती है और एलआईसी द्वारा इसका अधिग्रहण किए जाने के बाद इसे निजी बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
देश की एक बड़ी आबादी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) पर जमकर भरोसा करती रही है। देश के करोड़ों लोगों ने आंख मूंदकर अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा एलआईसी की योजनाओं में लगा रखा है। लेकिन हाल के वर्षों पर नजर डाली जाए तो एलआईसी के पास मौजूद नकदी के बड़े भंडार पर जोखिम बढ़ रहा है।