Budget 2019: सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी, एनपीए में एक लाख करोड़ रुपये की कमी आई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 5, 2019 01:01 PM2019-07-05T13:01:11+5:302019-07-05T13:01:11+5:30
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी। इससे इन बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी। वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में एक लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।
उन्होंने कहा कि पिछले चार बरसों में बैंकों ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) तथा अन्य तरीकों से चार लाख करोड़ रुपये की वसूली की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये डालने का फैसला किया है।
इससे ऋण की वृद्धि सुधरेगी। उन्होंने कहा कि घरेलू ऋण में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सीतारमण ने कहा कि सरकार ने सुगम तरीके से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण किया है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या में आठ की कमी आई है।
सरकार का सार्वजनिक शेयरधारिता को 25 से 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव
सरकार ने सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता को 25 से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 का बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही हैं इस बारे में सरकार पहले ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को पत्र लिख चुकी है।
उन्होंने कहा कि सरकार का इलेक्ट्रॉनिक कोष जुटाने का मंच ‘सोशल स्टॉक एक्सचेंज’ स्थापित करने का इरादा है। इस एक्सचेंज पर सामाजिक सुरक्षा उद्देश्य के लिए काम कर रहे सामाजिक उपक्रमों और स्वैच्छिक संगठनों को सूचीबद्ध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार के सभी कार्यक्रमों के केंद्र में गांव, गरीब और किसान हैं। उन्होंने कहा कि 2022 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को बिजली और एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध होगा। सीतारमण ने कहा कि बिजली कनेक्शनों और मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर योजना ने ग्रामीण भारत में बड़ा बदलाव ला दिया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घरों के निर्माण की अवधि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्लेटफार्म और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से घटकर 114 दिन रह गई है। 2015-16 में इस योजना के तहत घरों के निर्माण में 314 दिन लगते थे।