लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद आज मायावती कर सकती हैं पार्टी में बड़ा फेरबदल, कार्यकर्ताओं की ले रही हैं बैठक 

By रामदीप मिश्रा | Published: June 23, 2019 09:50 AM2019-06-23T09:50:05+5:302019-06-23T13:06:12+5:30

मायावती ने रविवार को जो बैठक बुलाई है उसमें राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व के सभी पदाधिकारी शामिल होने वाले हैं। साथ ही साथ जोनल कोऑर्डिनेटरों को बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया है।

bsp chief mayawati called party meeting today over upcoming up bypolls | लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद आज मायावती कर सकती हैं पार्टी में बड़ा फेरबदल, कार्यकर्ताओं की ले रही हैं बैठक 

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Highlightsमायावती पार्टी संगठन को मजूबत करने में जुटी हुई हैं और अब कहा जा रहा है वे पार्टी में बड़ा बदलाव करने वाली हैं। आज बीएसपी नेताओं की बैठक बुलाई है, जिसमें वह कई अहम फैसले कर सकती हैं।  पार्टी इस बैठक में आगामी चुनावों लेकर रणनीति बनाएगी और उत्तर प्रदेश उपचुनाव की तैयारियों पर विचार करेगी।

लोकसभा चुनाव 2019 में करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती पार्टी संगठन को मजूबत करने में जुटी हुई हैं और अब कहा जा रहा है वे पार्टी में बड़ा बदलाव करने वाली हैं। इसके लिए वह आज बीएसपी नेताओं की बैठक कर रही हैं, जिसमें वह कई अहम फैसले कर सकती हैं। 

खबरों की मानें तो मायावती रविवार को जो बैठक कर रही हैं उसमें राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व के सभी पदाधिकारी शामिल होने वाले हैं। साथ ही साथ जोनल कोऑर्डिनेटरों को बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया है। पार्टी इस बैठक में आगामी चुनावों लेकर रणनीति बनाएंगी और उत्तर प्रदेश उपचुनाव की तैयारियों पर विचार करेगी। इसके अलावा बीएसपी सुप्रीमों पार्टी में फेरबदल कर सकती हैं, जिसमें वह कई नेताओं को नई जिम्मेदारी दे सकती हैं। साथ ही साथ लोकसभा चुनाव के दौरान असफल रहे पदाधिकारियों के ऊपर गाज गिर सकती है।

बताया जा रहा है कि मायावती इस बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन को लेकर तस्वीर साफ कर सकती हैं, जिसके बाद कार्यकर्ता किसी भी भ्रम की स्थिति में न रहें और उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए जोर-शोर प्रचार कर सकें। बता दें कि मायावती पहले यूपी उपचुनाव को अकेले लड़ने के लिए ऐलान कर चुकी हैं। 

अभी हाल ही में बजट सत्र शुरू होने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार की ‘एक देश एक चुनाव’ पहल पर नई दिल्ली में आयोजित बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें मायावती शामिल नहीं हुई थीं और उन्होंने कहा था कि ‘एक देश एक चुनाव’ भाजपा का नया ढकोसला है ताकि ईवीएम की सुनियोजित धांधलियों आदि के जरिये लोकतन्त्र पर कब्जा किए जाने को लेकर उपजी गम्भीर चिन्ता की तरफ से लोगों का ध्यान बंटाया जा सके। भाजपा सरकार को ऐसी सोच, मानसिकता एवं कार्यकलापों से दूर रहना चाहिये जिससे देश के संविधान एवं लोकतन्त्र को आघात पहुँचता है। 

उन्होंने कहा था कि भारत जैसे विशाल, 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले 29 राज्यों व 7 केन्द्र शासित प्रदेशों पर आधारित लोकतान्त्रिक देश में ‘एक देश-एक चुनाव’ के बारे में सोचना ही प्रथम दृष्टया अलोकतान्त्रिक व गैर-संवैधानिक प्रतीत होता है। देश के संविधान निर्माताओं ने ना तो इसकी परिकल्पना की और ना ही इसकी कोई गुन्जाइश देश के संविधान में रखी। दुनिया के किसी छोटे से छोटे देश में भी ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आती है।

मायावती का कहना था कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकता और न ही चुनाव को कभी धन के व्यय-अपव्यय से तौलना उचित है। देश में ’एक देश, एक चुनाव’ की बात वास्तव में गरीबी, महंगाई, बेरोजबारी, बढ़ती हिंसा जैसी ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास और छलावा है।

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