बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है। तेज बहादुर को झांसी एनकाउंटर को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। तेज बहादुर को गिरफ्तार भी उसी वक्त किया गया, जब वह झांसी में हुए कथित खनन माफिया पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन रहे थे। पुष्पेंद्र बीते दिनों यूपी पुलिस के साथ हुए एक एनकाउंटर में मारा गया था।
हरियाणा में होने वाले विधान सभा चुनावों में तेज बहादुर यादव मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ लड़ रहे हैं। तेज बहादुर लोकसभा चुनाव-2019 में भी वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे। हरियाणा में 21 अक्टूबर को मतदना होंगे और 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।
जानें झांसी एनकाउंटर के बारे में
झांसी पुलिस ने दावा किया था कि उसने पांच और छह अक्टूबर की रात कथित रूप से बालू खनन में शामिल पुष्पेंद्र यादव को जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर गुरसराय इलाके में मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस ने दावा किया था कि मुठभेड़ से कुछ घंटे पहले पुष्पेंद्र ने कानपुर झांसी राजमार्ग पर मोठ के थानाध्यक्ष धर्मेंन्द्र सिंह चौहान पर गोली चलायी थी। झांसी के पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह के मुताबिक पुष्पेंद्र यादव अवैध रूप से खनन कार्य में शामिल था और 29 सितंबर को थानाध्यक्ष द्वारा उसके कुछ ट्रक जब्त किये जाने के बाद उनसे उसकी कहासुनी भी हुई थी।
पुलिस के अनुसार, पुष्पेंद्र समेत तीन मोटरसाइकिल सवारों ने शनिवार (5 अक्टूबर) रात को थानाध्यक्ष धर्मेंद्र और उसके सहयोगी को कानपुर झांसी राजमार्ग पर रोका। पुष्पेंद्र ने धर्मेंद्र पर गोली चलाई और उसकी कार लेकर चला गया। बाद में सुबह करीब तीन बजे गोरठा के पास पुलिस ने तीन लोगों को धर्मेंद्र की कार के साथ पकड़ा और इसी बीच हुई मुठभेड़ में पुष्पेंद्र मारा गया। रविवार (6 अक्टूबर) को पुष्पेंद्र यादव, विपिन और रविंद्र के खिलाफ मोठ और गुरसराय पुलिस थाने में दो अलग अलग प्राथमिकी दर्ज की गयी।
जानें पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव के बारे में सबकुछ
पूर्व बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव हरियाणा रेवाड़ी के रहने वाले हैं। साल 2017 में वो उस वक्त चर्चा में आए जब उनका सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था। जिसमें वह जवानों को दिए जाने वाले खाने की क्वॉलिटी की आलोचना कर रहे थे। जिसके बाद , कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद उनके आरोपों को गलत निकले और तेज बहादुर यादव को नौकरी से निकाल दिया गया था।