पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ असम के सीमा विवाद की संक्षिप्त पृष्ठभूमि
By भाषा | Updated: July 29, 2021 18:53 IST2021-07-29T18:53:57+5:302021-07-29T18:53:57+5:30

पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ असम के सीमा विवाद की संक्षिप्त पृष्ठभूमि
(दुर्बा घोष)
गुवाहाटी, 29 जुलाई असम के विभाजन और मुख्य रूप से आदिवासी बहुल राज्यों मिजोरम, मेघालय, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के गठन ने सीमा समस्याओं के निशान छोड़ दिए जो पड़ोसियों के बीच संबंधों को खराब कर रहे हैं।
असम के प्रत्येक सीमा विवाद के पक्ष में दावे-प्रति दावे हैं।
मेघालय : असम और मेघालय के बीच समस्या तब शुरू हुई जब मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती दी। इसके तहत मिकिर हिल्स या मौजूदा कार्बी आंगलोंग जिले के ब्लॉक एक और दो को असम को दे दिया गया। मेघालय का तर्क है कि ये दोनों ब्लॉक तत्कालीन एकीकृत खासी और जयंतिया हिल्स जिले का हिस्सा थे, जब इसे 1835 में अधिसूचित किया गया था। वर्तमान में 733 किलोमीटर की असम-मेघालय सीमा पर विवाद के 12 बिंदु हैं।
अरुणाचल प्रदेश : अरुणाचल की शिकायत यह है कि पूर्वोत्तर के राज्यों के पुनर्गठन ने मैदानी इलाकों में कई वन क्षेत्रों को एकतरफा तरीके से स्थानांतरित कर दिया गया, जो परंपरागत रूप से पहाड़ी आदिवासी प्रमुखों और समुदायों से संबंधित थे। वर्ष 1987 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिलने के बाद एक त्रिपक्षीय समिति नियुक्त की गई जिसने सिफारिश की कि कुछ क्षेत्रों को असम से अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित कर दिया जाए। असम ने इसका विरोध किया और मामला उच्चतम न्यायालय में है।
मिजोरम : वर्ष 1994 और 2007 में कुछ घटनाओं को छोड़कर 2020 से पहले असम-मिजोरम सीमा पर स्थिति अपेक्षाकृत शांत थी। वर्ष 2007 में सीमा पर हुई एक घटना के बाद मिजोरम ने घोषणा की कि वह वर्तमान सीमा को स्वीकार नहीं करता है। असम और 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीईएफआर) के तहत 1875 की अधिसूचना में वर्णित इनर लाइन आरक्षित वन की आंतरिक रेखा सीमा को चित्रित करने का आधार होनी चाहिए न कि 1933 का जिला सीमा सीमांकन जिसे असम लागू करना चाहता है। हाल में हुई हिंसा के बाद असम सरकार ने कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय में मुकदमा दायर करेगी। हिंसा में छह पुलिसकर्मियों सहित सात लोग मारे गए।
नगालैंड : पूर्वोत्तर में सबसे लंबे समय तक चलने वाला सीमा विवाद असम और नगालैंड के बीच का है, जो 1963 में नगालैंड के राज्य बनने के तुरंत बाद शुरू हुआ था। वर्ष 1962 के नगालैंड राज्य अधिनियम ने 1925 की अधिसूचना के अनुसार राज्य की सीमाओं को परिभाषित किया था जब नागा हिल्स और त्वेनसांग क्षेत्र (एनएचटीए) को एक नई प्रशासनिक इकाई में एकीकृत किया गया। नगालैंड, हालांकि, सीमा परिसीमन को स्वीकार नहीं करता है और उसने मांग की है कि नए राज्य में उत्तरी कछार और नगांव जिलों में सभी नागा-बहुल क्षेत्र भी होने चाहिए।
केंद्र ने पहले असम-नगालैंड सीमा विवाद को निपटाने के लिए दो आयोगों, सुंदरम आयोग (1971) और शास्त्री आयोग (1985) का गठन किया था। हालांकि, ये आयोग मामले को सुलझाने में विफल रहे क्योंकि संबंधित राज्यों ने उनकी सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया।
अंतर-राज्यीय सीमा :
असम-अरुणाचल प्रदेश: उदलगुरी, सोनितपुर, विश्वनाथ, लखीमपुर, धेमाजी, चराईदेव, तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ के आठ जिलों की सीमा से लगे 804.1 किलोमीटर।
असम-मिजोरम: दोनों राज्य असम के कछार, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों और मिजोरम के कोलासिब, ममित और आइजोल जिलों के बीच 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं।
असम-नगालैंड: दोनों राज्य शिवसागर, चराईदेव, जोरहाट और गोलाघाट के चार जिलों की सीमा से 512.1 किलोमीटर की दूरी साझा करते हैं।
असम-मेघालय: दोनों राज्य पश्चिम कार्बी आंगलोंग, दीमा हसाओ, मोरीगांव, कामरूप मेट्रो, कामरूप ग्रामीण, गोलपारा, धुबरी और दक्षिण सलमारा की सीमा से 884.9 किलोमीटर साझा करते हैं।
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