मालेगांव विस्फोट मामला: लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट सुनवाई के लिए राजी
By पल्लवी कुमारी | Updated: October 26, 2018 12:08 IST2018-10-26T12:08:40+5:302018-10-26T12:08:40+5:30
Lt Col Prasad Srikant Purohit, Maharashtra's Malegaon 2008 blast: 20 अक्टूबर को एनआईए की एक विशेष कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका खारिज की थी। पुरोहित 2008 मालेगांव विस्फोट मामले के अभियुक्त हैं।

मालेगांव विस्फोट मामला: लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट सुनवाई के लिए राजी
बॉम्बे हाईकोर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है। मामले पर 29 अक्टूबर को सुनवाई होगी। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने एएनआई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज होने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। फिलहाल सुनवाई पर स्थगनादेश नहीं दिया गया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बॉम्बे हाईकोर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करेगा। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत लगाई गई पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिका को विशेष एएनआई अदालत द्वारा खारिज किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी।
Bombay High Court agreed to hear Lt Col Prasad Purohit's appeal on Monday. Purohit had moved the Court against the order of the special NIA court that had rejected his challenge to Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) sanctions. No stay on trial for the meanwhile. pic.twitter.com/JFe0pQsSiZ
— ANI (@ANI) October 26, 2018
बता दें कि 20 अक्टूबर को एनआईए की एक विशेष कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका खारिज की थी। पुरोहित 2008 मालेगांव विस्फोट मामले के अभियुक्त हैं। एनआईए कोर्ट ने पुरोहित और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने थे लेकिन अभियोजन मंजूरी की वैधता को लेकर अभियुक्त की आपत्तियों के बाद इसे खारिज किया गया था। जिसके बाद सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर का वक्त दिया गया था।
क्या था मालेगांव विस्फोट मामले
महाराष्ट्र के नासिक में मालेगांव के एक मस्जिद के पास 29 सितंबर 2008 को एक मोटरसाइकिल में बंधे एक बम से तकरीबन छह लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे।
एनआईए कोर्ट ने 27 दिसंबर 2017 को मामले में आरोपों से बरी करने की मांग वाली पुरोहित, सह-आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और छह अन्य लोगों की याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने उसके बाद महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत सभी आरोपों को हटाते हुए आंशिक राहत दी थी।