मुंबई, 3 सितंबर: यलगार परिषद मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र पुलिस पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना है कि जब यह मामला कोर्ट में लंबित है तो पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया। इसके साथ ही कोर्ट ने एनआईए (NIA) जांच की मांग करने वाली याचिका को 7 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है।
यलगार परिषद और भीमा कोरेगांव कनेक्शन?
यलगार परिषद एक रैली थी। भीमा कोरेगांव का कनेक्शन ब्रिटिश राज से है। यह पेशवाओं के नेतृत्व वाले मराठा साम्राज्य और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है।
इस युद्ध में मराठा सैनिकों की बहुत बुरी तरह हार हुई थी।इस दौरान मराठा सेना के सामने ईस्ट इंडिया कंपनी के महार (दलित) रेजीमेंट था। इस लिए इस जाट का पूरा श्रेय महार रेजीमेंट के सैनिकों को जाता है।
इसके बाद से ही भीमा कोरेगांव को महारों की जीत की जगह माना जाता है। इसके याद रखने के तौर पर एक स्मारक स्थापित किया। तब से हर साल यह उत्सव की तरह मनाया जाता है।
क्या है यलगार परिषद?
जब 31 दिसंबर 2017 में इसकी 200वीं सालगिरह थी।तब 'भीमा कोरेगांव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान' के तौर पर कई छोटे बड़े संगठनों ने यहां रैली का आयोजन किया। तब इसका नाम यलगार परिषद रखा गया।इस रैली में प्रकाश आंबेडकर, हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल, गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू छात्र उमर खालिद, आदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोरी आदि मौजूद रहे।
क्या है यलगार परिषद का पूरा मामला?
उस रैली में कई नेताओं ने भाषण दिए, जिसके बाद यलगार परिषद से जुड़ी दो और एफआईआर पुणे के विश्रामबाग पुलिस थाने में रिपोर्ट की गई। पहली एफआईआर के मुताबिक जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था।
वहीं दूसरे एफआईआर में तुषार दमगुडे की शिकायत पर यलगार परिषद से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया। जिसके बाद पांच एक्टिविस्ट को गिरफ्तार किया गया था।