परिवार के किसी सदस्य का वैध जाति प्रमाण पत्र उसके पितृसत्तात्मक रिश्तेदार के सामाजिक स्थिति का सबूत: बॉम्बे हाई कोर्ट

By विनीत कुमार | Published: April 4, 2022 09:17 AM2022-04-04T09:17:23+5:302022-04-04T09:48:45+5:30

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि परिवार के किसी भी सदस्य का वैध जाति प्रमाण पत्र उनके पितृसत्तात्मक रिश्तेदार की सामाजिक स्थिति के प्रमाण के रूप में मान्य होगा। ठाणे के एक शख्स की याचिका पर कोर्ट ने ये आदेश दिया।

Bombay HC says validated caste certificate of family member stands as conclusive proof of social status | परिवार के किसी सदस्य का वैध जाति प्रमाण पत्र उसके पितृसत्तात्मक रिश्तेदार के सामाजिक स्थिति का सबूत: बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला (फाइल फोटो)

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि परिवार के किसी सदस्य का वैध जाति प्रमाण पत्र उनके पितृसत्तात्मक रिश्तेदार की सामाजिक स्थिति के प्रमाण के रूप में मान्य होगा। जस्टिस एसबी शुक्रे और जीए सनप की खंडपीठ ने कहा कि भारत में अधिकांश परिवार पितृसत्तात्मक परिवार के पैटर्न का पालन करते हैं और इसलिए सभी सदस्यों को एक ही जाति या जनजाति से संबंधित माना जाना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी कहा कि एक दस्तावेज जो एक शख्स के लिए प्रमाण के तौर पर है, वह किसी अन्य व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का भी प्रमाण होगा यदि वह वैधता प्रमाण पत्र रखने वाले पहले व्यक्ति का पैतृक रिश्तेदार है। हालांकि ऐसे मामले जहां धोखाधड़ी और तथ्यों को गलत तरीके से रखकर सत्यापन या जनजाति प्रमाण पत्र तैयार किए जाने के मामले होंगे, वैसे में ये मान्य नहीं होगा।

अपने फैसले में हाई कोर्ट ने राज्य में जाति जांच समितियों को अदालतों के आदेशों की अवहेलना नहीं करने के लिए भी आगाह किया। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसी कोई समिति उसके आदेशों का उल्लंघन करती पाई गई तो भविष्य में गंभीर कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट ने कहा, 'हम न केवल ठाणे में स्क्रूटनी कमिटी (जांच समिति) को बल्कि अन्य सभी जांच समितियों को भी हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने और उच्च न्यायालयों द्वारा जारी निर्देशों का ईमानदारी से पालन करने के लिए कहते हैं। हम यह स्पष्ट करते हैं कि भविष्य में यदि हमारे संज्ञान में आता है कि इन निर्देशों का किसी भी जांच समिति द्वारा पालन नहीं किया गया है, तो यह न्यायालय किसी भी जांच समिति द्वारा किए गए उल्लंघन पर गंभीरता से विचार करेगा।'

ठाणे के रहने वाले भरत तायडे की याचिका पर फैसला 

हाई कोर्ट ने ठाणे के रहने वाले भरत तायडे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया। इसमें ठाणे में स्क्रूटनी कमिटी (जांच समिति) के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें दूसरी बार भरत के जाति प्रमाण पत्र को अमान्य घोषित किया गया था।

इससे पहले, 2016 में हाई कोर्ट ने स्क्रूटनी कमिटी को भरत के अनुसूचित जनजाति 'टोकरे कोली' होने के दावे पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया था। अदालत ने तब यह भी नोट किया कि भरत तायडे के चचेरे भाई कैलाश तायडे को नासिक जिले में स्क्रूटनी कमिटी द्वारा जाति वैधता प्रमाण पत्र दिया गया था।

हालांकि, स्पष्ट निर्देश के बावजूद ठाणे की समिति ने कैलाश को जारी वैध जाति प्रमाण पत्र के आधार पर विचार करने से इनकार कर दिया था और भरत तायडे के 'टोकरे कोली' समुदाय से संबंधित होने के दावे को खारिज किया था। कोर्ट ने पाया कि ठाणे में जाति जांच समिति की ओर से 'न्यायिक अनुशासनहीनता' की गई। मामले में हाई कोर्ट ने जाति जांच समिति के आदेश को खारिज करते हुए भरत तायडे को दो सप्ताह के भीतर वैधता प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया।

Web Title: Bombay HC says validated caste certificate of family member stands as conclusive proof of social status

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