प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (25 दिसंबर) को असम की जनता को बड़ी सौगात दी है। उन्होंने सूबे के डिब्रूगढ़ के निकट बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क पुल का उद्घाटन किया। इस पुल की लंबाई 4.94 किलोमीटर है। इस दौरान पीएम मोदी ने पुल का अनावरण कर राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही साथ इस लंबे पुल से गुजरने वाली पहली पैसेंजर रेलगाड़ी को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
1997-98 में मिली थी मंजूरी
इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी किनारे पर बने इस पुल पर पीएम असम के राज्यपाल जगदीश मुखी और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के साथ पुल पर कुछ मीटर पैदल चले। बता दें, असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल को 1997-98 में मंजूरी दी गई थी और इसके निर्माण के लिये 35,400 टन स्टील की आपूर्ति की गई है।
बताया जा रहा है कि विशाल ब्रह्मपुत्र नदी पर बना, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह पुल अरूणाचल प्रदेश के कई जिलों के लिए कई तरह से मददगार होगा। डिब्रूगढ़ से शुरू होकर इस पुल का समापन असम के धेमाजी जिले में होता है। यह पुल अरुणाचल प्रदेश के भागों को सड़क के साथ-साथ रेलवे से जोड़ेगा। यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
5,900 करोड़ रुपये हुए खर्च
बताया गया है कि इस पुल का निर्माण 5,900 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इस पुल से असम से अरूणाचल प्रदेश के बीच दूरी कम होकर चार घंटे रह जाएगी। इससे तिनसुकिया के रास्ते 170 किलोमीटर का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। इससे दिल्ली और डिब्रूगढ़ के बीच ट्रेन यात्रा में लगने वाला समय करीब तीन घंटा कम होकर 34 घंटा रह जाएगा जो फिलहाल 37 घंटा है।
नाविकों की रोजी-रोटी पर खतरा
इधर, कहा जा रहा है कि ब्रह्मपुत्र नदी में नौकाओं से लोगों और उनके सामान को आर-पार पहुंचाने में मदद करने वाले नाविक बोगीबील सेतु को अपनी रोजी-रोटी के लिए खतरा मान रहे हैं। ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी और दक्षिणी तट से करीब 40 नौकाओं का संचालन होता है। इन नौकाओं के जरिए लोगों के साथ ही दोपहिया वाहनों और कार आदि सामान को भी दूसरी पार पहुंचाया जाता है। दो नौकाओं का संचालन राज्य सरकार करती है जबकि बाकी का संचालन निजी तौर पर होता है। प्रत्येक नौका के संचालन में तीन लोग लगे होते हैं।(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)