ब्लॉग: क्षेत्रीय भाषा को जीवित रखने का प्रयास, पंजाब में की जा रही अनुकरणीय पहल

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 23, 2023 10:27 AM2023-02-23T10:27:45+5:302023-02-23T10:31:16+5:30

पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने कमाल कर दिया है। उसने अब यह नियम कल 21 फरवरी से लागू कर दिया है कि दुकानों पर सारे नामपट पंजाबी भाषा में होंगे और सारी सरकारी वेबसाइट भी पंजाबी भाषा में होंगी।

Blog Efforts to keep regional language alive exemplary initiative being taken in Punjab | ब्लॉग: क्षेत्रीय भाषा को जीवित रखने का प्रयास, पंजाब में की जा रही अनुकरणीय पहल

फाइल फोटो

Highlightsपंजाबी भाषा को बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार कर रही नई पहल जगह-जगह पंजाबी के अधिक प्रयोग को बढ़ावा देने की जरूरत सरकार द्वारा इस तरह भाषा को बढ़ावा देने से लोगों में जागरुकता आएगी

नई दिल्ली: लगभग 65 साल पहले मैंने इंदौर में एक आंदोलन चलाया था कि सारे दुकानदार अपने नामपट हिंदी में लगाएं और अंग्रेजी नामपट हटाएं। दुनिया के सिर्फ ऐसे देशों में दुकानों और मकानों के नामपट विदेशी भाषाओं में लिखे होते हैं, जो उन देशों के गुलाम रहे होते हैं।

भारत को आजाद हुए 75 साल हो रहे हैं लेकिन भाषाई गुलामी ने हमारा पिंड नहीं छोड़ा है। जो हाल हमारा है, वही पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार का भी है। नेपाल, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों में ऐसी गुलामी का असर काफी कम दिखाई पड़ता है।

इस मामले में पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने कमाल कर दिया है। उसने अब यह नियम कल 21 फरवरी से लागू कर दिया है कि दुकानों पर सारे नामपट पंजाबी भाषा में होंगे और सारी सरकारी वेबसाइट भी पंजाबी भाषा में होंगी। जो इस नियम का उल्लंघन करेगा, उसे 5 हजार रुपये तक जुर्माना भरना पड़ेगा। इससे भी सख्त नियम महाराष्ट्र में लागू है। वहां नामपट यदि मराठी भाषा और देवनागरी लिपि में नहीं होंगे तो एक लाख रुपये तक जुर्माना ठोंका जा सकता है। 

तमिलनाडु में भी जुर्माने की व्यवस्था है। कर्नाटक में भी नामपटों को कन्नड़ भाषा में लिखने का आंदोलन जमकर चला है। यदि अन्य प्रांत भी इसी पद्धति का अनुकरण करें तो कितना अच्छा हो। यदि पंजाब की आप सरकार इतनी हिम्मत दिखा रही है तो दिल्ली में केजरीवाल की सरकार भी यही पहल क्यों नहीं करती? दिल्ली अगर सुधर गई तो उसका असर सारे देश पर होगा।

भाषा के सवाल पर कानून बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है? यह तो लोकप्रिय जन-आंदोलन बनना चाहिए। भारत के लोगों में स्वभाषा-प्रेम कम नहीं है लेकिन उसे जागृत करने का जिम्मा हमारे राजनीतिक दल और नेता लोग ले लें तो भारत को महाशक्ति बनने में देर नहीं लगेगी।

Web Title: Blog Efforts to keep regional language alive exemplary initiative being taken in Punjab

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