कोरोनाकाल में बिहार में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मची हाहाकार के बीच इसकी हो रही कालाबाजारी का खुलासा हुआ है। इस मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओयू) और पटना पुलिस की जांच में यह पता चला है कि अस्पताल में भर्ती मरीज के नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन को ड्रग कंट्रोलर के जरिए हासिल किया जाता है और फिर उसे मुनाफाखोरी के लिए उसकी डील दूसरे मरीज के परिजनों से की जाती है।
इसके बाद मोटी रकम लेकर उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच दी जाती है। इसतरह से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी पुरे राज्य में हो रही है। यहां बता दें कि बिहार में रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की कालाबाजरी को लेकर ईओयू और स्थानीय थाना पुलिस मिलकर इन मामलों में छापेमारी और गिरफ्तार करने की कार्रवाई कर रही है। कालाबाजारी और फर्जीवाडा का यह खेल कहां से और किसके इशारे पर चल रहा था इसके बारे में पता लगाया जा रहा है।
मुनाफाखोरी के इस खेल में कौन-कौन लोग शामिल हैं, उनकी डीटेल हासिल की जा रही है। पुलिस फरार शशि यादव की तलाश में छापेमारी कर रही है। इसी कडी में पिछले छह मई की रात ईओयू और पटना पुलिस की टीम ने गांधी मैदान थाना क्षेत्र के एसपी वर्मा रोड स्थित रेनबो हॉस्पिटल में छापेमारी की थी। इस दौरान अस्पताल के निदेशक डॉ। अशफाक अहमद और उनके साले अल्ताफ अहमद को रेमडेसिविर के दो डोज के साथ पकडा गया था।
इन दोनों से किए गए पूछताछ और अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि मरीज का नाम लिखकर डॉक्टर अपने लेटरपैड को ड्रग कंट्रोलर को देता था। उसके जरिए इंजेक्शन की डोज सरकार की तरफ से निर्धारत तय रेट पर हासिल कर उसे अपने पास रख लेता था। बाद में मोटी रकम देने वाले लोगों की तलाश करता था और डील तय होते ही उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच दिया करता था।
इस संबंध में पूछे जाने पर पटना के सिटी एसपी सेंट्रल विनय तिवारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अब आरोपी और उसके मददगारों की तलाश में छापेमारी चल रही है। आठ मई की शाम को पटना के कंकडबाग इलाके में ईओयू ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की थी। पटना सदर के एएसपी संदीप सिंह के अनुसार जांच के दौरान इस केस में क्लू मिले हैं, जिसके आधार पर अभी पडताल चल रही है।