चुनाव बाद हिंसा के हालात का जायजा लेने कूच बिहार गए राज्यपाल को काले झंडे दिखाए गए
By भाषा | Updated: May 13, 2021 21:20 IST2021-05-13T21:20:09+5:302021-05-13T21:20:09+5:30

चुनाव बाद हिंसा के हालात का जायजा लेने कूच बिहार गए राज्यपाल को काले झंडे दिखाए गए
कूच बिहार (पश्चिम बंगाल), 13 मई पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई कथित हिंसा के हालात का जायजा लेने और प्रभावित लोगों से मिलने पहुंचे राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बृहस्पतिवार को कूच बिहार के सीतल कूची में जहां काले झंडे दिखाए गए वहीं दिनहाटा में ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए गए।
गौरतलब है कि राज्य में हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान सीतलकूची में केन्द्रीय बलों की गोलीबारी में चार ग्रामीणों की मौत हो गई थी।
चुनाव बाद हिंसा से प्रभावित जिले के विवादित दौरे पर गए राज्यपाल धनखड़ ने दिन में कहा था कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुए हमलों से वह सकते में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘देश कोविड की चुनौती से जूझ रहा है तथा पश्चिम बंगाल को महामारी और चुनाव बाद हुई हिंसा की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।’’ उनके अनुसार यह हिंसा केवल इस आधार पर हो रही है क्योंकि कुछ लोगों ने अपनी मर्जी से वोट डालने का फैसला लिया।
राज्यपाल के इस दौरे को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके बीच लंबा वाक युद्ध हुआ। मुख्यमंत्री ने बुधवार को चिट्ठी लिखकर दावा किया कि यह तय परंपरा का उल्लंघन है क्योंकि यह राज्य सरकार के साथ सलाह किए बगैर हो रहा है।
बनर्जी ने दावा किया कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद को नजरअंदाज कर रहे हैं और सीधे-सीधे राज्य के अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं जोकि संविधान का उल्लंघन है।
वहीं, दिनहाटा में दौरे पर धनखड़ उत्तेजित हो अपनी कार से बाहर आ गए और उन्होंने नारेबाजी कर रहे लोगों को कथित रूप से नहीं रोकने के लिए पुलिस अधिकारियों को डांट लगायी। दिनहाटा में करीब 15 लोग पोस्टरों के साथ मौजूद थे और ‘भाजपा के राज्यपाल वापस जाओ’ का नारा लगा रहे थे।
राज्यपाल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं सकते में हूं, विधि का शासन पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है, मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि ऐसा कुछ हो सकता है।’’
पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को मौके से भगाया।
चुनाव बाद हिंसा से प्रभावित लोगों से बातचीत के बाद धनखड़ ने कहा, ‘‘मैंने लोगों की आंखों में डर देखा है और वे थाने जाकर शिकायत करने से भी डर रहे हैं।’’
राज्यपाल माथाभंग, सीतलकूची, सिताई और दिनहाटा गए और दो मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के हाथों हमले/हिंसा झेलने का दावा करने वालों से बातचीत की।
इन चारों जगहों पर कई परिवारों से मिलने के बाद धनखड़ ने कहा, ‘‘घर लूट लिए गए हैं, बेटी के ब्याह के लिए रखे गए गहने, श्राद्ध के लिए रखे बर्तन और अन्य चीजें भी लूट ली गयी हैं।’’
राज्यपाल का काफिला जब माथाभंग से सीतलकूची की ओर जा रहा था तो रास्ते में गोलोकगंज में कुछ लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। यहां प्रदर्शनकारियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए पुलिसकर्मियों को मानव श्रृंखला बनानी पड़ी।
अन्य जगहों पर भी राज्यपाल के दौरे की आलोचना करते हुए पोस्ट और तख्तियां दिखायी गयीं।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘इतिहास मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इंसाफ करेगा। इतिहास राज्यपाल जगदीप धनखड़ तथा नौकरशाही और मीडिया का भी इंसाफ करेगा।’’
चुनाव बाद हुई हिंसा के संबंध में सूचना पाने के तमाम प्रयास के बावूजद राज्य सरकार से कोई जानकारी नहीं मिलने का दावा करते हुए धनखड़ ने कहा कि राज्य सरकार संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत उन्हें आवश्यक सूचना मुहैया कराए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी भी परिस्थिति में बिना किसी रूकावट और विचलित हुए बिना अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करुंगा।’’
धनखड़ की यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी प्रवक्ता सौगत रॉय ने कहा, ‘‘उन्होंने (धनखड़) राज्य सरकार की नहीं सुनी और कूच बिहार गए। वह भाजपा नेता के साथ वहां गए। उनका व्यवहार असंवैधानिक है।’’
रॉय ने कहा, ‘‘हमने पहले भी राज्यपाल के विरूद्ध राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। अगर मुख्यमंत्री कहेंगी तो, हम उनके खिलाफ फिर से राष्ट्रपति को पत्र भेजेंगे।’’
दिन में कूच बिहार जिले में विभिन्न स्थानों का दौरा शुरू करते हुए राज्यपाल ने कहा था, ‘‘देश कोविड की चुनौती से जूझ रहा है तथा पश्चिम बंगाल को महामारी और चुनाव बाद हुई हिंसा की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।’’ उनके अनुसार यह हिसा केवल इस आधार पर हो रही है क्योंकि कुछ लोगों ने अपनी मर्जी से वोट डालने का फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीत सरकार सुनिश्चित करे कि कानून अपने हाथ में लेने वाले सभी लोगों को न्याय के शिकंजे में लाया जाए।
विपक्षी पार्टी भाजपा का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस उसके कार्यकर्ताओं और समर्थकों के खिलाफ हिंसा कर रही है। हालांकि सत्तारूढ़ दल ने इन आरोपों से साफ इंकार किया है।
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