"मराठा आरक्षण, किसानों के मुद्दे और विपक्ष के 'संविधान बदलने' वाले चुनावी अभियान से भाजपा के वोट बंट गये", केंद्र में मंत्री रक्षा खडसे ने महाराष्ट्र में पार्टी के खराब प्रदर्शन के सवाल पर कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 11, 2024 10:09 IST2024-06-11T10:01:58+5:302024-06-11T10:09:18+5:30
रक्षा खडसे ने मोदी मंत्रिपरिषद में अपनी नियुक्ति पर खुशी व्यक्त करते हुए राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर कहा कि देश की राजनीति में महिला राजनीतिज्ञों का दखल पहले से काफी बढ़ा है।

फाइल फोटो
नई दिल्ली:महाराष्ट्र से तीन बार की सांसद और नरेंद्र मोदी सरकार में सबसे कम उम्र की महिला मंत्री रक्षा खडसे को युवा मामले और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री का जिम्मा मिला है। 37 साल की खडसे ने मोदी मंत्रिपरिषद में अपनी नियुक्ति पर खुशी व्यक्त करते हुए राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर कहा कि देश की राजनीति में महिला राजनीतिज्ञों का दखल पहले से काफी बढ़ा है।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में रक्षा खडसे ने मोदी मंत्रिमंडल के अलावा इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री ने एक युवा चेहरे और एक महिला के रूप में मुझ पर विश्वास दिखाया था। 2014 से पहले भाजाप में कई वरिष्ठ सांसद सेवानिवृत्ति के करीब थे और पीएम ने उस मोर्चे पर बदलाव लाना शुरू किया और युवाओं को अधिक अवसर दिया है।
उन्होंने कहा कि पहले युवा राजनीति को हेय दृष्टि से देखते थे, लेकिन मोदी जी ने राजनेताओं को देखने का नजरिया बदल दिया है। उन्होंने राजनीति में महिलाओं की अधिक भागीदारी को भी प्राथमिकता दी और हमने टिकट वितरण और महिला सांसदों को मंत्री पद तक पहुंचते हुए देखा है। हमने यह भी देखा है कि मतदान प्रतिशत में महिलाओं की हिस्सेदारी बराबर से अधिक है। इस चुनाव में हमने देखा कि महिलाओं ने स्पष्ट रूप से अपनी पसंद के अनुसार मतदान किया और महिलाओं ने अपने परिवारों के मतदान विकल्पों को खुले तौर पर चुनौती दी।
रक्षा खड़से ने अपने राजनीतिक सफर पर कहा कि मैं सांसद बनने से पहले मैं सरपंच और जिला परिषद सदस्य थी। हालाँकि, केंद्र में मंत्री बनना बिल्कुल अलग अनुभव होगा। मुझे खुद को सीखना और शिक्षित करना होगा।
मोदी सरकार में महिलाओं के लिए किये जा रहे कार्यों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार कई महिला-उन्मुख योजनाएं चला रही है जो स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के वित्तीय समावेशन, बैंक खाते खोलने और आसानी से सुलभ और किफायती ऋण पर केंद्रित हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में महिलाओं को इन मुद्दों से कहीं अधिक अवगत कराया गया है। ऋण तक पहुंच के साथ, वे अधिक आत्मनिर्भर हैं। इस एहसास के साथ कि वे अपनी वित्तीय स्वतंत्रता में सुधार कर सकते हैं, वे अपने परिवारों का भी समर्थन कर रहे हैं। उनके पास अपने बच्चों को शिक्षित करने और बेहतर स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंचने के लिए बेहतर संसाधन हैं। भले ही इस चुनाव के दौरान जमीनी हालात आसान नहीं थे, फिर भी महिला मतदाताओं ने मेरा समर्थन किया।
रक्षा खड़से ने इस लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी का खराब प्रदर्शन पर बात करते हुए कहा, "महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण और किसानों के मुद्दे इस चुनाव में दो प्रमुख विषय थे। ये दोनों बातें मतदाताओं के मन में बैठ गईं और एक कहानी ने जोर पकड़ लिया कि बीजेपी ने मराठों को आरक्षण नहीं दिया। इससे निश्चित रूप से कुछ स्थानों पर हमारे वोट विभाजित हो गये। संक्षेप में कहें तो चुनाव के दौरान स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता मिली लेकिन 2014 और 2019 में ऐसा नहीं था।
उन्होंने कहा कि भले ही अतीत में स्थानीय मुद्दे सामने आए हों लेकिन राष्ट्रीय मुद्दे ही केंद्र में रहे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। प्रत्येक उम्मीदवार का अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक अलग अनुभव था। विपक्ष ने संविधान के भविष्य को लेकर एक बड़ा बखेड़ा किया और वह कथा बढ़ती गई। ये वे मुद्दे थे, जिन्होंने हमारे लिए बाधा उत्पन्न की।
महाराष्ट्र में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव पर रक्षा खडसे ने कहा, "हमें वास्तव में कड़ी मेहनत करनी होगी और अपनी संगठनात्मक ताकत पर भरोसा करना होगा। हमें यह पता लगाना होगा कि क्या राज्य स्तर के मुद्दों को केंद्र में हमारी सरकार के माध्यम से हल किया जा सकता है। मुझे यकीन है कि पार्टी नेतृत्व इन मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगा। चाहे हमारी पार्टी के कार्यकर्ता हों या नेता, हम सभी को कड़ी मेहनत करनी होगी। हम उसी हिसाब से तैयारी करेंगे।"