2014 के आम चुनाव में इतिहास रचते हुए बीजेपी ने 335 सीटों पर कब्जा करके कांग्रेस को औंधे मुंह गिराया था। ये जीत बीजेपी की अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। ऐसे में इसी लय को बरकरार रखते हुए, इस बार भी बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। 2014 के आम चुनावों में कुछ ही सीटें ऐसी थी, जिनसे बीजेपी को उम्मीद थी और वह नहीं जीत पाए थे। इन सीटों में से एक है कांग्रेस का गढ़ माने जानेवाली अमेठी सीट, 2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी पहली बार इस क्षेत्र से राहुल के विरुद्ध में खड़ी हुईं थीं।
वैसे तो 2019 के लोकसभा चुनाव में काफी समय बचा हुआ है लेकिन बीजेपी में इसको जीतने के लिए अपनी कमर अभी से कस ली है। पार्टी उन सभी केंद्रो पर काम कर रहीं है जिनकी वजह से वह पहले कुछ सीटे जीत नहीं पाई थी। इतना ही नहीं कांग्रेस की कमजोरियों पर भी ध्यान देकर अपनी रणनीति तैयार कर ली है।
इन खामियों से 2019 में काग्रेस को घेरेगी बीजेपी-2014 चुनाव में अमेठी में मिली हार को अब बीजेपी दुहराना नहीं चाहती है। इसलिए अब 2019 में होने वाले लोकसभा के लिए पहले से ही उनसे अपनी पूरी रणनीति तैयार कर रही है। बीजेपी-कांग्रेस की कमजोर नब्ज राहुल को निशानें पर लेते हुए राहुल की कमियों पर ज्यादा ध्यान दे रहीं है। सूत्रों की बात मानें तो राहुल की जिन कमियों का फायदा उठाएगी वह कुछ इस प्रकार से हैं-
- राहुल गांधी जब भी अमेठी दौरे पर होते है तब वह चुनिंदा जगहों पर ही जाते हैं। - राहुल अपने ही सांसदीय क्षेत्र में कभी पांच महीने तो कभी छह महीने बाद ही नजर आते हैं। - यहां तक की अमेठी प्रशासन का काम भी उनकी वजह से इस जिले में नहीं दिखता है, जबकि इसके उलट इटावा भी वीआईपी सीट है, जहां विकास आसानी से देखा जा सकता है।-देखा जाए तो कांग्रेस कहीं ना कहीं अमेठी तक ही सीमट कर रह गई है। इसके बाद भी राहुल अमेठी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कब देंगे विकास पर ध्यान?राहुल गांधी के समय से ही अमेठी के जगदीशपुर को इंडस्ट्रियल हब के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव पास हुआ था । लेकिन ये अभी तक नहीं बन पाया है। वहीं, अगर हम बात अमेठी के डेवलपमेंट की करें तो वहां शहर के बाहर और अंदरुनी इलाकों में सडकों की हालत कई सालों से खराब है लेकिन उस पर भी कोइई खास ध्यान नहीं दिया गया है। अगर राहुल अमेठी को अपनी जागीर मानते भी है तो उन्हें सांसद निधि के अलावा अन्य स्रोतों के जरिये भी अमेठी में काम कराना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
कांग्रेस की कमजोर चुनावी रणनीति कांग्रेस की कमजोर चुनावी रणनीति का इस बात से ही पता लगाया जा सकता है कि राहुल सिर्फ अपनी संसदीय सीट पर ही ध्यान देते है। वह अमेठी की विधानसभा सीटों पर फोकस नहीं कर रहे हैं।
- 2012 विधानसभा चुनावों में सपा ने अमेठी में सेंध लगाई थी, इस बार भाजपा ने सेंध लगाई।- 2012 में जहां अमेठी में सपा ने वर्चस्व जमाया था। वहीं, 2017 में बीजेपी ने 4 में से 3 सीटें जीती हैं।अभी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के पुराने सदस्य तिलोई विधानसभा से विधायक डॉ मुस्लिम ने भी कांग्रेस छोड़ कर बसपा ज्वाइन कर लिया था। इस सभी से अंदेशा लताया जे सकता है कि राहुल अपनी संसदीय क्षेत्र की विधानसभा के हिसाब से रणनीति पर राहुल कितना ध्यान देते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा इन सभी बिंदुओं पर ध्यान देकर अमेठी से कांग्रेस का पत्ता साफ करने की तैयारी जोरो से कर रही है।
राहुल गांधी के समय से ही अमेठी के जगदीशपुर को इंडस्ट्रियल हब के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव पास हुआ था। लेकिन ये अभी तक नहीं बन पाया है। वहीं, अगर हम बात अमेठी के जेवलपमेंट की करें तो वहां शहर के बाहर और अंदरूनी इलाकों में सड़कों के हालात कुछ और हैं जो लोगों की पहुंच से बाहर हैं ऐसे में अब देखना होगा कि राहुल अपनी इस सीट को किस तरह से लेते हैं। वहीं, राहुल गांधी एक अलग ही तरह से खोए हुए हैं जिनको लोंगो की सुध कम ही दिखाई दे रही है। अगर वह चाहते तो इतने दिनों में बीजेपी को पस्त करने के लिए कांग्रेस कोई ठोस कदम जरूर उठा चुकी होती लेकिन ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है।