पुणेः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि भाजपा और शिवसेना आगामी नगर निकाय चुनावों में अधिकतर स्थानों पर एक साथ चुनाव लड़ेंगे और राकांपा सहित ‘महायुति’ के सहयोगी दलों के साथ अधिकतर स्थानों पर सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड नगर निगमों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के बीच दोस्ताना मुकाबला होगा। राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) द्वारा 29 नगर निकायों के बहुप्रतीक्षित चुनावों का कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद फडणवीस ने कहा कि प्रशासकों का लंबा शासन लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विरुद्ध है।
आर्थिक रूप से समृद्ध मुंबई सहित 29 नगर निकायों के लिए चुनाव 15 जनवरी को होगा और मतगणना 16 जनवरी को होगी। फडणवीस ने कहा कि ‘महायुति’ के सहयोगी दलों के बीच गठबंधन होगा, लेकिन अधिकतर शहरों में समझौता भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच होगा। उन्होंने कहा कि पुणे में गठबंधन की संभावना नहीं है, जहां भाजपा और अजित पवार नीत राकांपा प्रमुख दल हैं।
‘महायुति’ में भाजपा, शिवसेना और राकांपा शामिल हैं। फडणवीस ने नगर निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम एसईसी की इस घोषणा का स्वागत करते हैं। प्रशासकों द्वारा नगर निकायों का संचालन करना विवेकपूर्ण नहीं है। अदालत के आदेश के कारण शहरी निकायों में लंबे समय तक स्थानीय प्रतिनिधि नहीं रहे।
अब जब चुनाव होंगे, तो हमें विश्वास है कि जनता हमें शहरों के विकास का अवसर देगी।’’ उन्होंने कहा कि पुणे और पड़ोसी पिंपरी चिंचवड में भाजपा और राकांपा के बीच दोस्ताना मुकाबला देखने को मिलेगा। नागपुर और चंद्रपुर का जिक्र करते हुए फडणवीस ने कहा कि आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को पार कर गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने चुनाव कराने की अनुमति दे दी है, लेकिन परिणाम अंतिम अदालती फैसले के अधीन होंगे।’’ फडणवीस ने मतदाता सूचियों को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों पर कहा कि ये चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, ‘‘विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही सूचियों में विसंगतियां कम हो जाएंगी।
भविष्य में, ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए मतदाता सूचियों को ‘ब्लॉकचेन’ पर रखा जाना चाहिए।’’ मुख्यमंत्री ने लंबित अदालती मामलों का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित करने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया।