नई दिल्लीः भाजपा ने संसदीय बोर्ड बड़ा बदलाव किया है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से हटा दिया है और इकबाल सिंह लालपुरा, सत्यनारायण जटिया और के लक्ष्मण को शामिल किया गया है।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा तथा केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित छह नए चेहरों को इसमें शामिल किया। पार्टी की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, राज्यसभा सदस्य व पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण हैं।
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, पार्टी की राष्ट्रीय सचिव व पूर्व सांसद सुधा यादव और वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया है। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संगठन महामंत्री बीएल संतोष पहले से ही संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं।
शाहनवाज हुसैन को हटाया गया
ओम माथुर, भूपेंद्र यादव को भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया है। शाहनवाज हुसैन को हटाया गया है। नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय चुनाव समिति से भी बाहर कर दिया गया है। गडकरी केंद्र में सड़क और परिवहन मंत्री हैं। शिवराज सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
2024 आम चुनाव को देखते हुए भाजपा ने कमर कस ली है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को पार्टी के पुनर्गठित संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है, जिसमें अब कई नए चेहरे हैं। संसदीय बोर्ड भाजपा में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। यह मुख्यमंत्रियों, राज्य प्रमुखों और अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं पर कॉल करता है।
नितिन गडकरी का महत्वपूर्ण समिति से बाहर होना इस कवायद में सबसे बड़ा झटका
नितिन गडकरी का महत्वपूर्ण समिति से बाहर होना इस कवायद में सबसे बड़ा झटका है। गडकरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं। वह भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जो भाजपा के पूर्व प्रमुख भी हैं, ने संसदीय बोर्ड में फिर से प्रवेश किया है।
एक और आश्चर्यजनक प्रविष्टि कर्नाटक के भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा की है। जिन्हें पिछले साल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। येदियुरप्पा 77 वर्ष के हैं, जो पार्टी की 75 वर्ष की अलिखित आयु सीमा से काफी आगे है। सूत्रों का कहना है कि प्रभावशाली राजनेता कुछ समय से नाखुश हैं और पार्टी उन्हें शांत करना चाहती है।