"धर्म की विजय हुई, जय श्री राम", निलंबित भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने जमानत मिलने पर कहा, पैगंबर विवाद में हुए थे गिरफ्तार
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 9, 2022 09:39 PM2022-11-09T21:39:54+5:302022-11-09T21:47:44+5:30
पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद हुए विवाद को शांत करने के लिए तेलंगाना सरकार द्वारा प्रिवेंशन डिटेंशन ऐक्ट के तहत गिरफ्तार हुए भाजपा के निलंबित एमएलए टी राजा सिंह को तेलंगाना हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है।
हैदराबाद: पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद जेल में कैद किये गये भाजपा के निलंबित विधायक टी राजा सिंह को तेलंगाना हाईकोर्ट ने कड़ी जमानत शर्तों के साथ जमानत दे दी है। अल्पसंख्यकों के भारी विरोध के बाद तेलंगाना सरकार ने बीते 25 अगस्त को गोशामहल से भाजपा के निलंबित विधायक टी राजा सिंह को विवादित टिप्पणी के लिए प्रिवेंशन डिटेंशन ऐक्ट के तहत गिरफ्तार करके जेल भेजा था।
हाईकोर्ट ने बुधवार को निलंबित भाजपा विधायक टी राजा सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस अभिषेक रेड्डी और जस्टिस जे श्रीदेवी की बेंच ने विधायक टी राजा सिंह को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए उन्हें सख्त हिदायत दी कि वो रिहाई के बाद किसी भी धर्म के खिलाफ न तो कोई आपत्तिनक बान देंगे और न ही किसी तरह का भड़काऊ भाषण देंगे।
रिहाई के बाद समर्थकों की भारी भीड़ के साथ अपने आवास पर पहुंचे टी राजा सिंह ने चेरलापल्ली सेंट्रल जेल अपने रिहाई की सूचना ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, "धर्म की विजय हुई। एक बार पुनः आपकी सेवा में उपस्थित हो गया हूं। जय श्री राम।"
धर्म की विजय हुई।
— Raja Singh (@TigerRajaSingh) November 9, 2022
एक बार पुनः आपकी सेवा में उपस्थित होगया हु।
जय श्री राम 🚩 pic.twitter.com/UM2LcpxuMu
जबकि रिहाई की शर्तों में हाईकोर्ट की बेंच ने टी राजा सिंह को यह भी कहा था कि वो सोशल मीडिया पर भी किसी धर्म से संबंधित कोई आपत्तिजनक पोस्ट नहीं लिखेंगे और न ही उस तरह की किसी रैली, बैठक या अन्य समारोह में भाग नहीं लेंगे।
मालूम हो कि पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद तेलंगाना में बेहद तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। मामले में पुलिस ने फौरन संज्ञान लिया और विधायक टी राजा सिंह को प्रिवेंशन डिटेंशन ऐक्ट के तहत गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। पुलिस ने विधायक राजा के खिलाफ कुल 101 केस दर्ज हैं। जिनमें से 18 केस सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने से संबंधित थे।