महाराष्ट्र: गृहनिर्माण मंत्री-BJP नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल की मुश्किलें बढ़ीं, सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज करने का दिया आदेश

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 5, 2019 09:52 AM2019-11-05T09:52:21+5:302019-11-05T09:52:21+5:30

राधाकृष्ण विखे पाटिल के पद्मश्री विट्ठलराव विखे पाटिल सहकारी शक्कर कारखाने द्वारा 9 करोड़ रुपए हड़प लेने और किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है.

BJP leader Radhakrishna Vikhe Patil's problems increase, Supreme Court orders to register a case | महाराष्ट्र: गृहनिर्माण मंत्री-BJP नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल की मुश्किलें बढ़ीं, सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज करने का दिया आदेश

फाइल फोटो

Highlightsविखे पाटिल शक्कर कारखाने की ओर से बैंक में प्रस्ताव पेश किया गया था कि योजना के अंतर्गत उसके 26 हजार किसानों को कर्जमाफी दी जाए. सहकारिता विभाग की ओर से 2012 से लगातार कारखाने से 9 करोड़ रुपए का हिसाब मांगा जा रहा था, लेकिन कारखाने ने कोई तवज्जो नहीं दी.

महाराष्ट्र के गृहनिर्माण मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. उच्चतम न्यायालय ने उनके पद्मश्री विट्ठलराव विखे पाटिल सहकारी शक्कर कारखाने के 9 करोड़ रुपए के घोटाला मामले की जांच करने और मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.

2009 में राज्य सरकार की कर्जमाफी योजना अंतर्गत राज्य के तत्कालीन कृषि मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के पद्मश्री विट्ठलराव विखे पाटिल सहकारी शक्कर कारखाने द्वारा 9 करोड़ रुपए हड़प लेने और किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है. राज्य सरकार ने 2009 में 2004 से 2006 इन तीन वर्षों के मौसम के लिए किसानों द्वारा लिए गए 'बेसल डोस' कर्ज को योजना के तहत माफ करने का निर्णय लिया था. उस समय समन्वयक बैंक के मार्फत यह योजना कार्यान्वित की गई थी.

उस समय विखे पाटिल शक्कर कारखाने की ओर से बैंक में प्रस्ताव पेश किया गया था कि योजना के अंतर्गत उसके 26 हजार किसानों को कर्जमाफी दी जाए. उसके बाद बैंक ऑफ इंडिया की अहमदनगर शाखा की ओर से कारखाने के सदस्य 13 हजार 726 किसानों की कर्जमाफी का प्रस्ताव तथा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की प्रवरानगर शाखा की ओर से 12 हजार 844 किसानों की कर्जमाफी का प्रस्ताव सहकारिता विभाग को दिया गया था.

उसके आधार पर सहकारिता विभाग ने बैंक ऑफ इंडिया को 5 करोड़ 74 लाख 42 हजार रुपए तथा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 3 करोड़ 11 लाख 69 हजार रु पए की निधि मंजूर की थी. समन्वयक बैंक की ओर से कर्जमाफी के रूप में यह निधि कारखाने को दी गई थी. कर्जमाफी का लाभ लेने के बाद संबंधित कारखाने को 'अनुपालन' रिपोर्ट पेश करनी अनिवार्य होती है.

उसके साथ कर्जमाफी के पैसे किसानों तक किस माध्यम से पहुंचाए गए, इसका विवरण पेश करना आवश्यक होता है. लेकिन, कर्जमाफी के 9 करोड़ रुपए लेने के बाद 6 वर्ष गुजर जाने के बावजूद कारखाने ने रिपोर्ट पेश नहीं की. इस बीच सहकारिता विभाग ने इस मामले में बैंक के मार्फत कारखाने को नोटिस भेजी.

उसमें कहा गया था कि आपने 'अनुपालन' रिपोर्ट पेश नहीं की है इसलिए 9 करोड़ रुपए वापस करें. लेकिन, कारखाने ने इस नोटिस का भी कोई जवाब नहीं दिया. सहकारिता विभाग की ओर से 2012 से लगातार कारखाने से 9 करोड़ रुपए का हिसाब मांगा जा रहा था, लेकिन कारखाने ने कोई तवज्जो नहीं दी.

अंतत: कारखाने पर फौजदारी कार्रवाई करने की नोटिस दी गई. इस मामले में दादासाहब पवार ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि विखे पाटिल कारखाने ने किसानों के साथ धोखाधड़ी की है. उसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने इस मामले की जांच करने के आदेश दिए थे.

उसके बाद हाईकोर्ट के इस फैसले को कारखाना प्रशासन की ओर से उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी. लेकिन, उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए इस मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करने और मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.

Web Title: BJP leader Radhakrishna Vikhe Patil's problems increase, Supreme Court orders to register a case

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