बिहार: सीमांचल में महागठबंधन के आधार को खिसकाने में जुटी भाजपा, अमित शाह के दौरे से मची है सियासी हलचल
By एस पी सिन्हा | Published: September 20, 2022 06:31 PM2022-09-20T18:31:12+5:302022-09-20T18:34:19+5:30
बिहार के सीएम नीतीश कुमार को उन्हीं के घर में घेरने की रणनीति के तहत केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह आने वाली 23 और 24 सितम्बर को पूर्णिया का दौरा करेंगे।
पटना: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा की जारी विपक्षी एकता की कवायद को भाजपा जोरदार झटका देने की तैयारी में जुट गई है। नीतीश को घर में घेरने की रणनीति के तहत केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार के दौरे पर आने वाले हैं। अमित शाह 23 और 24 सितम्बर को पूर्णिया में रहेंगे। इस दौरान 24 सितम्बर को वह भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर महागठबंधन संग सरकार बनाने के बाद अमित शाह का यह पहला बिहार दौरा है। ऐसे में उनके इस दौरे के पीछे नीतीश कुमार को घेरने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, सीमांचल में विधानसभा की 24 और लोकसभा की चार सीटें हैं। ऐसे में भाजपा और महागठबंधन दोनों सीमांचल पर फोकस इसलिए कर रहे हैं कि सीमांचल का मैसेज पूरे प्रदेश में जा सके।
पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका भी सीमांचल से सटा है। अगर यहां झंडा बुंलद होता है तो यकीनन इसका पश्चिम बंगाल में भी कुछ फायदा मिल सकता है। शायद यही वजह है कि भाजपा ने यहां से मिशन 2024 के शंखनाद की प्लानिंग की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस इलाके में दो दिनों तक प्रवास करेंगे और बड़ी रैली को संबोधित करेंगे।
भाजपा की तरफ से शाह की रैली को सफल बनाने की पूरी तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि अमित शाह की होने वाली रैली सीमांचल की ऐतिहासिक रेली होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सिर्फ अररिया लोकसभा सीट पर सफलता मिली थी, जबकि पूर्णिया और कटिहार जदयू के खाते में गई थी और किशनगंज से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
ऐसे में बिहार में भाजपा को सशक्त करने के लिए अमित शाह के दौरे को प्रभावशाली और संदेशपरक बनाने की योजना है। इसके लिए सीमांचल को चुना जाना भी खास मकसद के तहत माना जा रहा है। इसके लिए भाजपा की कोशिश अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पैठ बढ़ाने की है। पूर्णिया सहित सीमांचल के अधिकांश जिलों में मुस्लिम समुदाय की प्रभावशाली उपस्थिति है।
अब तक माना जाता रहा है कि यहां भाजपा की पकड़ कमजोर रही है। ऐसे में भाजपा की पहली कोशिश उनके बीच अपने भरोसे को बढ़ाने की है। इसके लिए भाजपा की ओर से जोरशोर से पूर्णिया सहित पूरे इलाके में अल्पसंख्यकों से जुड़े कार्यों को प्रचारित किया जा रहा है।
सीमांचल में अररिया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज लोकसभा सीटें है। इसमें पूर्णिया ही वह सीट है, जहां सबसे कम करीब 30 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता हैं। इसके अलावा किशनगंज में करीब 67 प्रतिशत कटिहार में 38 प्रतिशत और अररिया में 32 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता हैं।