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भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे का टिकट काटा, तीन सीटिंग विधायकों को भी होना पड़ा है बेटिकट

By एस पी सिन्हा | Updated: October 11, 2020 18:56 IST

चर्चा है कि केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे गुहार लगाते रहे गये, लेकिन वह अपने बेटे को टिकट नहीं दिलवा पाये.

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ठळक मुद्देभागलपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने इस दफे अपने उम्मीदवार को बदल दिया है.भाजपा ने भागलपुर से रोहित पांडे को टिकट दिया है.अश्विनी चौबे ने अपने बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को भागलपुर से टिकट दिलाने के लिए जान लगा दिया था.

पटना: बिहार भाजपा ने विधानसभा चुनाव को लेकर 46 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. इसके पहले भाजपा ने दो बार कर पहले चरण के चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की सूची जारी की थी.

भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी संजय मयूख ने इसकी जानकारी दी है. भाजपा ने अपने तीन सीटिंग विधायकों का टिकट काट दिया है. वहीं, इस सूची में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे का नाम नहीं है.

यानि की उनका पत्ता साफ हो गया है. वे भागलपुर से इस बार भी किस्मत आजमाना चाहते थे. लेकिन वहां से पार्टी ने रोहित पांडे को टिकट दिया है.

चर्चा है कि केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे गुहार लगाते रहे गये, लेकिन वह अपने बेटे को टिकट नहीं दिलवा पाये. भागलपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने इस दफे अपने उम्मीदवार को बदल दिया है. पार्टी ने नये चेहरे पर दांव लगाया है. भाजपा ने भागलपुर से रोहित पांडे को टिकट दिया है. दरअसल, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने अपने बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को भागलपुर से टिकट दिलाने के लिए जान लगा दिया था.

चौबे जी के बेटे को पिछले विधानसभा चुनाव में यानि 2015 में पार्टी ने उम्मीदवार भी बनाया था, लेकिन वे हार गये थे. लिहाजा पार्टी उन्हें फिर से टिकट देने को तैयार नहीं थी. लेकिन चौबे जी मानने को तैयार नहीं थे. भाजपा के एक नेता ने बताया कि अश्विनी चौबे फिलहाल बक्सर से सांसद हैं. लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र में पडने वाले विधानसभा क्षेत्रों के टिकट में उनकी कोई अभिरूचि नहीं थी.

वे सिर्फ और सिर्फ भागलपुर पर अडे थे. लेकिन एक तो पार्टी नेतृत्व तैयार नहीं हो रहा था, वहीं भागलपुर में पार्टी में विद्रोह हो गया था. 2015 के विधानसभा चुनाव में भी चौबे जी के बेटे के खिलाफ बागी उम्मीदवार खडा हो गया था. बागी उम्मीदवार ने उतना वोट काट लिया, जिससे कि अर्जित शाश्वत चौबे चुनाव हार गये थे.

इस बीच कल चौबे जी के समर्थकों ने ट्विटर पर ट्रेंड कराने की कोशिश की अर्जित फार भागलपुर यानि भागलपुर के लिए अर्जित चौबे. ट्वीटर पर हैदराबाद, मुंबई, बंगाल के लोग ट्वीट कर रहे थे कि अर्जित चौबे ने भागलपुर में बडी- बडी रैलियां की है और उन्हें वहां से टिकट मिलना चाहिये. लेकिन भाजपा के दिल्ली दफ्तर में बैठे नेता तो खुद इस तरह के खेल के एक्सपर्ट हैं.

लिहाजा उन्हें माजरा समझने में देर नहीं लगी. चौबे जी की ये भी कवायद काम नहीं आई. यहां बता दें कि 2015 में भाजपा ने अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे को मैदान में उतारा था. इस बार भी पूरी संभावना था कि उन्हें उम्मीदवार बनाया जा सकता है. लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. 

मजेदार बात यह भी है कि भाजपा ने अपने तीन सीटिंग विधायकों का भी टिकट काट कर नीतीश कुमार के एक खास नेता को उम्मीदवार बनाया है. सारण जिले के अमनौर विधानसभा क्षेत्र में 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी शत्रुध्न तिवारी उर्फ चोकर बाबा ने महागठबंधन के उम्मीदवार कृष्ण कुमार मंटू को हराया था.

विवादित नेता कृष्ण कुमार मंटू नीतीश कुमार के खास माने जाते हैं. भाजपा ने इस दफे अपने सीटिंग विधायक शत्रुध्न तिवारी का टिकट काट दिया और उसे टिकट दे दिया, जिसे शत्रुध्न तिवारी ने पिछले दफे हराया था. तीन दिन पहले भाजपा ने कृष्ण कुमार मंटू को रातो रात जदयू से अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था.

उसी वक्त ये तय हो गया था कि मंटू को टिकट मिलने जा रहा है. आज इसका औपचारिक एलान कर दिया गया. सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार की सिफारिश पर भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक को बेटिकट कर मंटू को टिकट दिया है.

वहीं, भाजपा ने अपनी इस सूची में सीवान के विधायक व्यासदेव प्रसाद का भी टिकट काट दिया है. उनकी जगह पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव को टिकट दिया गया है. ओम प्रकाश यादव सीवान से सांसद थे, लेकिन 2019 के चुनाव में भाजपा ने ये सीट जदयू को दे दी थी. जिसके बाद जदयू ने कविता सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था.

उसी तरह से भाजपा ने पश्चिमी चंपारण के चनपटिया से अपने विधायक प्रकाश राय का भी पत्ता साफ कर दिया है. प्रकाश राय के बदले उमाकांत सिंह को टिकट दिया गया है. उमाकांत सिंह उसी क्षेत्र के एक पंचायत के मुखिया हैं. कुछ दिनों पहले तक वे भी जदयू में थे बाद में भाजपा में शामिल हो गये थे.

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