बर्थडे स्पेशल: कभी एबीवीपी ने नहीं दिया था टिकट, 10 बिंदुओं में योगी आदित्यनाथ का अब तक का सफर
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 5, 2018 07:50 AM2018-06-05T07:50:49+5:302018-06-05T07:50:49+5:30
साल 1994 में संन्यास लेने के बाद से 2017 में यूपी के सीएम बनने तक योगी आदित्यनाथ केवल तीन-चार बार ही अपने घर गये थे। 1999 में और 2013 में वो अपने भाइयों की शादी में शामिल होने के लिए अपने पैतृक घर गये थे।
आज (5 जून) को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन है। उत्तराखण्ड के साधारण परिवार में जन्मे योगी को लोग हिंदुत्व का पोस्टर ब्वॉय मानने लगे हैं। कुछ लोग उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का अगला पीएम मैटेरियल भी मानते हैं। कइयों का मानना है कि साल 2024 के लोक सभा चुनाव में योगी को बीजेपी पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश करेगी। मार्च 2017 में 45 साल की उम्र में देश के सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले योगी का बीजेपी ने जिस तरह पूर्वोत्तर, कर्नाटक और गुजरात चुनाव के दौरान स्टार-प्रचारक के तौर पर इस्तेमाल किया उससे देश की सबसे बड़ी पार्टी में उनके बढ़ते रसूख का पता चलता है। योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी 10 अहम बातें-
01- योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। उनका जन्म पाँच जून 1972 को उत्तराखण्ड (तब उत्तर प्रदेश) के पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक में हुआ था।
02- योगी के माता-पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट और सावित्री देवी है। योगी कुल सात भाई-बहन हैं।
03- योगी की शुरुआती पढ़ाई लिखाई स्थानीय स्कूलों में हुई। उन्होंने कोटद्वार पीजी कॉलेज से बीएससी (गणित) तक की पढ़ाई की है।
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04- कॉलेज के जमाने से ही योगी की राजनीति में रुचि थी। कॉलेज की राजनीति के दौरान ही योगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गये। कॉलेज के चुनाव में जब योगी को एबीवीपी ने सचिव पद के लिए टिकट नहीं दिया तो वो अकेले दम पर चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
05- योगी आदित्यनाथ राम मंदिर आंदोलन से अत्यधित प्रभावित थे। इसी दौरान उनका संपर्क गोरखपुर के गोरक्षनाथ पीठ के मठाधीश महंत अवैद्यनाथ से हुआ। योगी ने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
06- 1993 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर चले गये और गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वेर महंत अवैद्यनाथ के शिष्य बन गये। फ़रवरी 1994 में बसंत पंचमी के दिन योगी आदित्यनाथ दीक्षित होकर संन्यासी बने। संन्यास ग्रहण करने के बाद गोरखपंथ की परंपरा के अनुरूप उन्होंने पुराना नाम अजय सिंह बिष्ट त्याग दिया और उन्हें नया नाम "आदित्यनाथ" मिला। योगी आदित्यनाथ के संन्यासी और गोरक्षनाथ पीठ का उत्तराधिकारी बनने की खबर उनके परिवार को करीब तीन महीने बाद मिली।
07- साल 1994 में संन्यास लेने के बाद से 2017 में यूपी के सीएम बनने तक योगी आदित्यनाथ केवल तीन-चार बार ही अपने घर गये थे। 1999 में और 2013 में वो अपने भाइयों की शादी में शामिल होने के लिए अपने पैतृक घर गये थे।
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08- योगी आदित्यनाथ ने न केवल धर्म में बल्कि राजनीति में भी अपने गुरु अवैद्यनाथ की विरासत को संभाला। 1998 में योगी आदित्यनाथ यूपी की गोरखपुर लोक सभा सीट से पहली सांसद चुने गये। योगी सूबे के सीएम बनने तक इस सीट से लगातार पांच बार सांसद का चुनाव जीतते रहे थे। योगी के गुरु अवैद्यनाथ 1989 से 1998 तक लगातार गोरखपुर सीट से सांसद रहे थे।अवैद्यनाथ के गुरु महंत दिग्विजय नाथ भी गोरखपुर लोक सभा सीट से 1967 के आम चुनाव में जीतकर संसद पहुंचे थे।
09- योगी आदित्यनाथ की पहचान आज बीजेपी नेता के रूप में अधिक होती है लेकिन उनका अपना एक स्वतंत्र संगठन भी है। हिन्दू युवा वाहिनी नामक इस संगठन की उन्होंने अप्रैल 2002 में राम नवमी के दिन स्थापना की थी। संगठन का मुख्यालय गोरखपुर में है।
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10- मार्च 2017 में योगी यूपी के सीएम बने और अगस्त 2017 में उनकी जीवनी द मॉन्क हू बिकेम चीफ़ मिनिस्टर (The Monk Who Became Chief Minister) प्रकाशित हुई। योगी की यह जीवनी ब्लूम्सबरी पब्लिशिंग से प्रकाशित है और इसके लेखक शांतनु गुप्ता हैं।
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