Birth and Death Certificate parliament monsoon session: लोकसभा ने मंगलवार को विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023’ को मंजूरी प्रदान की जिसमें लोगों की सुविधा एवं फायदे के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र के डिजिटल पंजीकरण और इलेक्ट्रॉनिक निष्पादन का प्रावधान किया गया है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में संक्षिप्त चर्चा का जवाब दिया और विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से अपनी स्वीकृति दी। चर्चा का जवाब देते हुए राय ने कहा कि इस विधेयक में किसी तरह की शंका की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि मोदी सरकार इस विधेयक को बहुत ही पवित्र मन से लाई है।
उन्होंने कहा कि लोगों के लिए सुविधाओं को सुगम बनाने के मसकद से यह विधेयक लाया गया है और यह जनहित में लाया गया विधेयक है। मंत्री के अनुसार, इस विधेयक में सभी राज्यों से परामर्श लिया गया, लेकिन किसी ने कोई आपत्ति नहीं की। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाणपत्र का पंजीकरण सरल हो जाएगा।
चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के गुमान सिंह डामोर ने कहा कि इस संशोधन से आम लोगों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इससे जन्म और मृत्यु दोनों का डिजिटल पंजीकरण हो सकेगा। उन्होंने इसे राष्ट्रीय महत्व का विधेयक बताया। शिवसेना के राहुल शिवाले ने कहा कि इससे जन्म एवं मृत्यु का डेटाबेस बनाया जा सकेगा जिससे विकास की योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी।
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह पिछले दरवाजे से लाई जाने वाली ‘एनआरसी’ (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) है। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि जनगणना कब होगी। ओवैसी ने कहा कि इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। बहुजन समाज पार्टी की संगीता आजाद और कुछ अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया।
नित्यानंद राय ने गत 26 जुलाई को यह विधेयक पेश किया था। इसके माध्यम से जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969, जन्म एवं मृत्यु के मामलों के पंजीकरण के नियमन को लेकर अमल में आया था।
इस अधिनियम में अब तक संशोधन नहीं किया गया है और इसके संचालन की अवधि के दौरान सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने और इसे अधिक नागरिक अनुकूल बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है।
इसमें कहा गया है कि समाज में आए बदलाव और प्रौद्योगिकी उन्नति के साथ रफ्तार बनाये रखने एवं इसे नागरिकों की सुविधा के अनुकूल बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन की जरूरत थी। विधेयक में लोगों की सुविधा एवं फायदे के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र में डिजिटल पंजीकरण और इलेक्ट्रॉनिक निष्पादन का प्रावधान किया गया है।
इसमें पंजीकृत जन्म एवं मृत्यु का राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय डाटाबेस तैयार करने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि इसका मकसद अधिनियम में संशोधन के बाद नये कानून के प्रभाव में आने पर जन्म लेने वाले किसी व्यक्ति के लिए किसी शैक्षणिक संस्थान में दाखिले, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, केंद्र सरकार, राज्य सरकार में पदों पर नियुक्ति को लेकर जन्म प्रमाणपत्र को एक ही दस्तावेज के रूप में प्रयोग करने की बात कही गई है।