नई दिल्ली: संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में सरकार हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक 2021 पास करा सकती है। इसे पिछले हफ्ते लोकसभा में पेश किया गया था। लोकसभा में 30 नवंबर को कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच इसे पेश किया था।
क्या है इस बिल का मकसद
इसमें कहा गया है कि उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को पेंशन की अतिरिक्त मात्रा या परिवार पेंशन के लिये कोई हकदारी हमेशा उस माह की पहली तारीख से होगी जब पेंशन भोगी या कुटुम्ब पेंशनभोगी निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है।
उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन की अतिरिक्त मात्रा को यथास्थिति 80 वर्ष, 85 वर्ष 90 वर्ष और 100 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर मंजूर किया जा रहा है।
इस बदलाव से सुप्रीम कोर्ट के 31 जजों (चीफ जस्टिस भी) सहित हाई कोर्ट के 1079 जजों (हाई कोर्ट के चीफ जज) को भी लाभ होगा। इसके अलावा करीब 2500 रिटायर्ड जजों को भी इसका फायदा पहुंचेगा।
दो हाईकोर्ट पूर्व में दे चुके हैं ऐसे आदेश
दरअसल, हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेन्द्र दत्त ज्ञानी द्वारा दायर रिट याचिका में गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 15 मार्च 2018 के अपने आदेश में कहा कि पूर्वोत्तर उच्च न्यायालय न्यायाधीश अधिनियम की धारा 17ख के अनुसार पहली श्रेणी में अतिरिक्त पेंशन की मात्रा का फायदा किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उनकी अस्सी वर्ष की आयु पूरी होने के पहले दिन से उपलब्ध होगा।
इसके बाद, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी भारत का उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय सेवानिवृत्त न्यायाधीश संघ द्वारा दायर रिट याचिका में 3 दिसंबर 2020 को दिये आदेश में इस संबंध में उल्लेख किया था।
(भाषा इनपुट)