यौनकर्मियों के पुनर्वास का विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा: केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया

By भाषा | Updated: November 29, 2021 20:01 IST2021-11-29T20:01:36+5:302021-11-29T20:01:36+5:30

Bill for rehabilitation of sex workers will be introduced in winter session of Parliament: Center tells Supreme Court | यौनकर्मियों के पुनर्वास का विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा: केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया

यौनकर्मियों के पुनर्वास का विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा: केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया

नयी दिल्ली, 29 नवंबर केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह देश में यौनकर्मियों की तस्करी रोकने और पुनर्वास के लिए शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में एक विधेयक ला रही है।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरएस सूरी ने जानकारी दी कि केंद्र ने संसद के जारी शीतकालीन सत्र के दौरान यौनकर्मियों की तस्करी रोकने और पुनर्वास के लिए कानून लाने की योजना बनाई है।

पीठ ने सूरी के इस कथन को कार्यवाही में शामिल करते हुए मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए स्थिगित कर दी।

इस बीच, पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की ओर से पहचान किए गए यौनकर्मियों से राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान प्रमाण की आवश्यकता पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया और कहा कि न्यायालय के पूर्व के आदेशों के अनुपालन में महामारी की अवधि के दौरान उन्हें सूखा राशन प्रदान करें।

पीठ ने कहा, ‘‘भोजन के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। हालांकि कोविड महामारी के कारण स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, हमारा मानना है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का यह संवैधानिक दायित्व है कि वे अपने नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें, जिसमें यौनकर्मी भी आते हैं और वे भी सूखे राशन के हकदार हैं।’’

न्यायालय देश में यौनकर्मियों की समस्याओं के समाधान के अनुरोध वाली 2010 की एक याचिका में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था।

पीठ ने कहा कि इस अदालत ने 2011 में यौनकर्मियों के पुनर्वास के लिए अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए एक समिति का गठन किया है और समिति ने सिफारिशों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सौंपी है।

पीठ ने कहा कि 27 फरवरी को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने न्यायालय को सूचित किया था कि मंत्रियों का एक समूह मामले को देख रहा है और यह दो मसौदा कानून की जांच कर रहा है जो शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति की सिफारिश को ध्यान में रखेगा।

पीठ ने कहा कि यह महसूस करते हुए कि याचिका 2010 से लंबित है और कानून की जरूरत है, सरकार से जल्द से जल्द कानून लाने के लिए कहा गया था।

इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि वह देखना चाहते हैं कि क्या सरकार ने समिति की सिफारिशों में से कम से कम एक पर कोई कार्यवाही की है। इस पर पीठ ने सूरी को मसौदा कानून की एक प्रति उपलबध कराने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “नाको और डीएलएसए द्वारा यौनकर्मियों की पहचान उनके लिए सूखे राशन के वितरण का दावा करने के लिए पर्याप्त होगी। राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया जाता है कि वे यौनकर्मियों से राशन कार्ड पर जोर दिए बिना 28 अक्टूबर, 2020 के आदेश का पालन करें।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी 10 दिसंबर से पहले स्थिति रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।

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Web Title: Bill for rehabilitation of sex workers will be introduced in winter session of Parliament: Center tells Supreme Court

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