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मुकदमों की अंबार से दबी बिहार की अदालतें, 36 लाख से अधिक लंबित मुकदमों के कारण समय पर नहीं मिल पा रहा है लोगों को न्याय

By एस पी सिन्हा | Updated: December 8, 2025 16:13 IST

36 लाख से अधिक लंबित मुकदमों में सिविल मामलों के मुकदमों की संख्या 5.34 लाख और क्रिमिनल की 30.76 लाख है। राज्य में सबसे अधिक 4.62 लाख मुकदमें पटना जिला में दर्ज हैं। इनमें 4.11 लाख क्रिमिनल और 51 हजार से अधिक सिविल मामले हैं। 

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पटना: बिहार की अदालतों में मुकदमों का अंबार लगा है और जजों की कमी इसे और गंभीर बना रही है। दिसंबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार निचली अदालतों में कुल 36 लाख से अधिक केस लंबित थे और हर साल यह संख्या बढ़ रही है। जिसमें जजों की कमी और पुराने मामलों का ढेर एक बड़ी समस्या है, जिस पर सरकार 100 फास्ट-ट्रैक अदालतें बनाकर समाधान की कोशिश कर रही है। 36 लाख से अधिक लंबित मुकदमों में सिविल मामलों के मुकदमों की संख्या 5.34 लाख और क्रिमिनल की 30.76 लाख है। राज्य में सबसे अधिक 4.62 लाख मुकदमें पटना जिला में दर्ज हैं। इनमें 4.11 लाख क्रिमिनल और 51 हजार से अधिक सिविल मामले हैं। 

वरिष्ठ नागरिकों की ओर से दायर मुकदमों की संख्या 2.66 लाख राज्य के वरिष्ठ नागरिकों द्वारा दायर की गई मुकदमों की संख्या अच्छी -खासी है। बुजुर्गों के 1.28 लाख सिविल और 1.37 लाख क्रिमिनल मुकदमे दर्ज हैं, जबकि महिलाओं ने भी करीब 3.69 लाख मुकदमें दर्ज कराये हैं, जिनमें 90483 सिविल और 2.69 लाख क्रिमिनल हैं। न्यायिक सेवा के एक अधिकारी के जिम्मे 2323 मुकदमें राज्य में मुकदमों की तुलना में न्यायिक सेवा के अधिकारियों की संख्या कम है। 

वर्तमान में करीब 1554 न्यायिक सेवा के अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि मुकदमों की संख्या 36 लाख से अधिक है। इस तरह से देखें तो प्रति न्यायिक सेवा के अधिकारियों के जिम्मे 2323 मुकदमे हैं। 3 साल से ज़्यादा पुराने 71 प्रतिशत मुकदमे लंबित हैं और कुछ मामले 20-25 साल से भी अटके हैं, जैसा कि पटना हाईकोर्ट के निर्देश से पता चलता है। इन लंबित मामलों को निपटाने के लिए 100 नई फास्ट-ट्रैक अदालतें खोली जा रही हैं, और 900 नए पदों को भरने की योजना है। 

बिहार के उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि राज्य में 100 फास्ट ट्रैक न्यायालयों का गठन किया जाएगा। जिसका उद्देश्य न्यायालयों में लंबित मामलों का त्वरित निष्पादन, न्यायालय का बोझ कम करना और संवेदनशील प्रकृति के मामलों पर उचित ध्यान और समय देना है।  उन्होंने कहा- राज्य के विभिन्न न्यायालयों में 18 लाख से अधिक लंबित मामलों के मद्देनजर ये फास्ट ट्रैक न्यायालय बड़ी राहत देने वाले साबित होंगे। 

उन्होंने कहा कि पटना में 8 फास्ट ट्रैक अदालतें प्रस्तावित हैं जबकि गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भागलपुर में 4-4 अदालतें स्थापित की जाएंगी। नालंदा (बिहारशरीफ), रोहतास (सासाराम), सारण (छपरा), बेगूसराय, वैशाली (हाजीपुर), पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), समस्तीपुर और मधुबनी में 3-3 फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई जाएंगी। इसी तरह पश्चिम चंपारण (बेतिया), सहरसा, पूर्णिया, मुंगेर, नवादा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर (भभुआ), बक्सर, भोजपुर (आरा), सीतामढ़ी, शिवहर, सीवान, गोपालगंज, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, बांका, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय और खगड़िया में 2-2 फास्ट ट्रैक अदालतें संचालित होंगी। 

इसके अतिरिक्त नवगछिया और बगहा उप-मंडलीय न्यायालय में 1-1 फास्ट ट्रैक अदालत स्थापित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से चिन्हित मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन किया जाएगा। राज्य के 38 जिलों और उप-मंडलों में कुल 100 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाने के लिए कर्मियों की नियुक्ति भी बड़े पैमाने पर की जाएगी। प्रत्येक अदालत के लिए आठ प्रकार के पदों यथा- बेंच क्लर्क, कार्यालय लिपिक, स्टेनोग्राफर, डिपोजिशन राइटर, डेटा एंट्री ऑपरेटर, ड्राइवर, प्रोसेस सर्वर और चपरासी/ऑर्डर्ली के कुल-900 पदों पर नियुक्ति प्रस्तावित है। 

सम्राट चौधरी ने कहा कि शस्त्र अधिनियम से संबंधित लंबित मामलों के त्वरित निपटारे हेतु 79 न्यायालयों को एक्ट कोर्ट के रूप में नामित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि शस्त्र अधिनियम जैसे गंभीर मामलों का शीघ्र समाधान कानून व्यवस्था को मजबूत करेगा। राज्य सरकार न्यायिक प्रक्रिया को गति देने के लिए प्रतिबद्ध है। यही वजह है कि 100 फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन किया जाएगा।

टॅग्स :बिहारJusticeकोर्ट
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