मैं मरा नहीं हूं, जेल में ही था, राजनीतिक सफर का अंत नहीं हुआ, रिहाई आदेश निकलने के बाद आनंद मोहन ने कहा- मायावती कौन हैं और कहां की हैं, देखें वीडियो
By एस पी सिन्हा | Published: April 25, 2023 04:38 PM2023-04-25T16:38:02+5:302023-04-25T16:41:28+5:30
आनंद मोहन ने कहा कि मैं मरा नहीं हूं। जेल में ही था। इसलिए राजनीतिक सफर का अंत नहीं हुआ है। एक साथ डबल तोहफा मिल गया है।
पटनाः बिहार में गोपलगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड में जेल से परमानेंट रिहाई के सरकार के आदेश के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन ने एकबार फिर से राजनीति में सक्रिय होने के संकेत दिए हैं। लेकिन किस पार्टी से राजनीतिक करियर का पार्ट-2 शुरुआत करेंगे, इसका खुलासा उन्होंने नही किया है।
आनंद मोहन ने कहा कि बेटे की शादी के बाद फिर से जेल जाना है, फिर जब रिहाई पर ठप्पा लगेगा तो लोगों को बुलाकर तय करेंगे कि क्या करना है। आनंद मोहन ने कहा कि मैं मरा नहीं हूं। जेल में ही था। इसलिए राजनीतिक सफर का अंत नहीं हुआ है। आनंद मोहन ने कहा कि उन्हें एक साथ डबल तोहफा मिल गया है।
#WATCH | Bihar's Anand Mohan Singh, former MP & murder convict, who is out on 15-day parole for his son's wedding says, "I will return to jail after the ceremonies here and when release orders come, then I will call you all." pic.twitter.com/jTVANvh9f9
— ANI (@ANI) April 25, 2023
उनका कहना है कि कि मेरी रिहाई के आदेश में किसी भी तरह के नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी एकता की मुहिम का स्वागत किया है। देश में एक सशक्त प्रतिपक्ष की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होगा तो देश में तानाशाही का दौर आने की संभावना है। लोकतंत्र में व्यक्ति की नहीं, विचारधारा की पूजा हो।
लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का तकाजा है। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा जताई जा रही आपत्ति पर उन्होंने कहा कि जेल में रहने के दौरान वे सबकुछ भुला चुके हैं और वे किसी मायावती को नहीं जानते हैं। आनंद मोहन ने चुनौती देते हुए कहा कि कोई भी एक ऐसी घटना ढूंढकर सामने ला दें, जिसमें आनंद मोहन ने कोई दलित विरोधी कदम उठाया हो।
उन्होंने कहा कि हमने मजदूरों की लड़ाई से अपना संघर्ष शुरू किया। मायावती कौन हैं, कहां की हैं और कैसी हैं उनके बारे में नहीं जानता हूं। मैं कलावती को जानता हूं। सत्यनारायण भगवान की कथा में नाम सुना है। मायावती कौन है, क्या बोली, यह जानने का मुझे वक्त भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जो घटना हुई, उसमें दोनों ही परिवारों को परेशानी झेलनी पड़ी है।
पूरे मामले में सिर्फ और सिर्फ लवली आनंद और जी. कृष्णैया की पत्नी ने परेशानी झेली, बाकी लोगों ने झाल बजाने का काम किया। राजनीतिक घटनाक्रमों के मुताबिक लोग अपनी अपनी परिभाषा गढ़ते रहे। उन्होंने कहा कि बर भौंकने वाले को जवाब देना आनंद मोहन की फितरत में नहीं है।
बता दें कि पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में संशोधन के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा, जिसमें उनके सहित 27 दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी गई है।
आनंद मोहन भले ही जेल से रिहा हो जायेंगे, लेकिन देश में लागू लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत वे चुनाव नहीं लड पायेंगे। उन्हें उम्र कैद की सजा हो चुकी है और ऐसी सजा पाया व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है। आनंद मोहन पहले बिहार पीपुल्स पार्टी चलाते रहे हैं।
उनके जेल जाने के बाद उनकी पत्नी लवली आनंद ने कुछ दिनों के लिए वह पार्टी चलाई, लेकिन उसके बाद वे अलग-अलग दलों में घूमती रहीं। देखना होगा कि आनंद मोहन अपनी पुरानी पार्टी को जिंदा करते हैं या फिर खुद राजद और जदयू जैसी पार्टियों में से किसी में शामिल हो जायेंगे।