पटनाः वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी की मुश्किलें बढ़ गई है. उनके तीनों विधायकों के द्वारा उनका साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिये जाने के बाद अब उनके मंत्री पद पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अब उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. इसी बीच मुकेश सहनी ने कहा है कि वे राज्य सरकार में मंत्री रहेंगे या नहीं, इसका फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करना है. पार्टी के तीनों विधायकों (मिश्री लाल, स्वर्णा सिंह और राजू सिंह) के भाजपा में शामिल होने के बाद सहनी पहली बार प्रेस से बात कर रहे थे.
उन्होंने बिहार भाजपा के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे शुरू से ही कमजोर करने और तोड़ने की साजिश की जा रही थी. मैंने जब भी आगे बढ़ने की कोशिश की है लोगों की आंखों में खटका हूं. इसके बाद भी मैं आखिरी सांस तक अपने लोगों के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा. जनता के लिए काम करता रहूंगा. पार्टी विधायक बनाते हैं. विधायक से पार्टी नहीं बनती है.
विधायक आते जाते रहेंगे. इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है. चिराग पासवान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उनके साथ भाजपा ने क्या कुछ नहीं किया. उनका परिवार तोड़ दिया. लेकिन, इससे हम अपना संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ने वाले हैं. मुकेश सहनी ने कहा कि फिलहाल मेरा लक्ष्य बोचहां विधानसभा उपचुनाव है.
चुनाव के बाद हम आगे तय करेंगे कि मुझे क्या करना है. उन्होंने कहा कि चाहे वह कुछ भी करें, लेकिन मेरे कदम पीछे नहीं हटनेवाले हैं. मैं आगे बढूंगा. इस दौरान उन्होंने भाजपा को प्रदेश की सबसे बडी पार्टी बनने की बधाई दी. मुकेश सहनी ने कहा कि उनके संघर्ष से कुछ लोग डर गए हैं. उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ साजिश चल रही थी. उसका अंदाजा पहले से था.
मैं जानता था कि निषाद समाज के लिए जो लड़ाई लड़ रहा हूं, उसका अंजाम क्या होने वाला है. सहनी ने आज दो-टूक कहा कि उन्हें मंत्री मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बनाया है. यदि वे चाहेंगे तो पद छोड़ देंगे, नहीं तो पद पर बने रहेंगे. उन्होंने भाजपा पर बरसते हुए कहा कि अपना हक प्रधानमंत्री से मांगने पर भाजपा को नाराजगी होती रही, वही बताए कि यह किससे मांगू?
भाजपा को नहीं पता कि वे पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं. इस क्रम में उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सराहना की. सहनी ने कहा कि आपने देखा कि लालू जी ने इतना अच्छा काम किया फिर भी आज जेल में हैं. तो ये सब चलता रहता है. सहनी ने कहा कि उन्होंने भी हिम्मत नहीं हारी है. वे संघर्ष करेंगे. उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि भाजपा ने इसके पहले जदयू के छह विधायकों को तोड़ा था.
हमारे चार विधायक (दिवंगत हो चुके मुसाफिर पासवान को जोड़कर) गए हैं तो हम 40 जीतेंगे. उन्होंने एक बार फिर दोहराया वे राजनीति में पद की लालसा लेकर नहीं आए हैं. वे अति पिछड़ा और निषाद आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगे. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या अपने और अपने समाज के लोगों के हक की लड़ाई लड़ना गलत है?
हमने जब अपने समाज के लिए हक की मांग किया तो भाजपा के लोगों ने हमें टारगेट कर लिए. इस दौरान उन्होंने विधायक राजू सिंह पर भी खूब तंज कसा. सहनी ने कहा कि लंगूर को अंगूर खट्टे लगते हैं. जब विधायक बने थे तब हमारी विचारधारा उन्हें अच्छी लगी थी. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बहुत झूठ बोला है. मैं 18 साल की उम्र से संघर्ष कर रहा हूं.
मुझे पता था कि इस लड़ाई में कुछ भी हो सकता है. लोगों वो फैसला लेते हैं जो उन्हें करना होता है. यहां उल्लेखनीय है कि यूपी विधानसभा चुनाव के समय से ही मुकेश सहनी लगातार भाजपा पर हमलावर थे. उन्होंने भाजपा को हराने के लिए जी जान लगा दिया था.
वहां सफलता नहीं मिलने के बाद बिहार लौटने पर उन्होंने विधान परिषद उपचुनाव में जदयू को छोड उन जगहों पर अपने उम्मीदवार दिए जहां भाजपा के प्रत्याशी मैदान में थे. इसके बाद भी उनके तेवर कम नहीं हुए. बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भी उन्होंने प्रत्याशी खड़ा कर दिया. तभी यह कयास लगाए जाने लगे थे कि भाजपा चुप नहीं बैठेगी. नतीजा हुआ कि मुकेश सहनी अब बिना विधायक वाली पार्टी के नेता रह गए हैं.