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Bihar Vidhan Sabha Election 2020: प्रचार शुरू, लालू यादव की खलने लगी कमी, झामुमो को नहीं दिया टिकट, मुसीबत

By एस पी सिन्हा | Updated: October 8, 2020 19:09 IST

जमानत याचिका पर कल यानी शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. चारा घोटाले से संबंधित चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को रांची की सीबीआई कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है.

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ठळक मुद्देमहागठबंधन में शामिल नहीं करने के राजद के फैसले का असर लालू प्रसाद यादव की सेहत पर पड़ सकता है? राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव जो संयुक्त बिहार में भ्रष्टाचार के सबसे बडे़ मामले चारा घोटाला में सजायाफ्ता हैं.लालू प्रसाद यादव को मिली तमाम छूट वापस लिये जाने के कयासों के बीच सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह स्पष्टीकरण दिया.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार अभी शुरू भी नहीं हुआ है और लोगों को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की कमी खलने लगी है. यहां बता दें कि लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के मामले में रांची के जेल में बंद है.

उनकी जमानत याचिका पर कल यानी शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. चारा घोटाले से संबंधित चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को रांची की सीबीआई कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है.

इसबीच बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को महागठबंधन में शामिल नहीं करने के राजद के फैसले का असर लालू प्रसाद यादव की सेहत पर पड़ सकता है? सूत्रों के अनुसार रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के निदेशक के बंगला से उन्हें अन्यत्र शिफ्ट किया जा सकता है? राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने इसका जवाब भी दे दिया है.

झामुमो के केंद्रीय महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने साफ-साफ कहा है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव जो संयुक्त बिहार में भ्रष्टाचार के सबसे बडे़ मामले चारा घोटाला में सजायाफ्ता हैं, कहां रहेंगे, कहां नहीं, इसका फैसला उनकी पार्टी नहीं करती. इसका फैसला जेल प्रशासन एवं रिम्स प्रबंधन करेगा.

लालू प्रसाद यादव को मिली तमाम छूट वापस लिये जाने के कयासों के बीच सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह स्पष्टीकरण दिया

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद से एक भी सीट नहीं मिलने के बाद झामुमो के बिहार में अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने के फैसले से उपजी परिस्थितियों में रांची में रिम्स निदेशक के बंगला ‘केली बंगला’ में इलाजरत लालू प्रसाद यादव को मिली तमाम छूट वापस लिये जाने के कयासों के बीच सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह स्पष्टीकरण दिया.

भट्टाचार्य से भाजपा की उस टिप्पणी पर कि ‘इतनी मेहमाननवाजी काम नहीं आई’ पर पत्रकारों ने सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा, ‘भाजपा को अपनी सेहत की चिंता करनी चाहिए. लालू जी कहां रहेंगे, कहां नहीं, इसका फैसला झामुमो नहीं करेगा. इसका फैसला जेल प्रशासन और रिम्स प्रबंधन करेगा.’ यहां उल्लेखनीय है कि भाजपा ने महागठबंधन में कोई सीट नहीं मिलने पर झामुमो पर तंज कसा था कि ‘इतनी मेहमाननवाजी’ काम न आई.

झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने आरोप लगाया है कि बिहार का महागठबंधन एक बार फिर से ठगबंधन ही साबित हुआ है. भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने एक बयान में कहा कि तथाकथित महागठबंधन आज फिर से ठगबंधन साबित हुआ. झामुमो ने सत्ता के लिए जिस प्रकार राजद के आगे घुटने टेके, उसके परिणाम सामने आने लगे हैं.

चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव के लिए मेहमाननवाजी काम न आई

चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव के लिए मेहमाननवाजी काम न आई.’ उन्होंने कहा कि जितनी ताकत हेमंत सरकार ने लालू जी की सेवा सुश्रुषा में लगाई, उतना अगर राज्य के विकास के लिए सोचती, तो राज्य का कुछ भला होता. परंतु जनता जानती है कि हेमंत सरकार एक छलावा है, यह सिर्फ सत्ता सुख के लिए बनी है, इसका विकास से कुछ भी लेना-देना नहीं है.’

यहां उल्लेखनीय है कि करीब एक हजार करोड रुपये के चारा घोटाला से जुडे तीन मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव न्यायिक हिरासत में रिम्स में पिछले दो वर्ष से अधिक समय से इलाजरत हैं. बिहार चुनाव से ठीक पहले कोरोना संक्रमण की आशंका की बात कहकर उन्हें रिम्स के निदेशक के भव्य बंगला में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां राजद प्रमुख लालू पर लगातार बिहार के टिकटार्थियों से मिलने और राजनीतिक मुलाकातें करने के आरोप लगते रहे हैं. 

इसबीच लालू ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि इस मामले में उन्होंने आधी सजा काट ली है, इस आधार पर उन्हें जमानत मिलनी चाहिए. 11 सितंबर को  सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से इसका विरोध किया गया था. सीबीआई ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि लालू को चार मामले में सजा सुनाई गई है.

सभी मामलों की सजा अलग-अलग चल रही हैं. जब तक सभी सजा एक साथ चलने का आदेश संबंधित अदालत नहीं दे देती, तब तक सभी सजा अलग- अलग चलेंगी. सभी में आधी सजा काटने के बाद ही इन्हें जमानत मिल सकती है.

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