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बिहार: कमर दर्द से परेशान तेजस्वी यादव ने लिखा पोस्ट, कहा- "भले ही दर्द कितना हो, लक्ष्य प्राप्त किए बिना रुकना मेरे खून में नहीं"

By एस पी सिन्हा | Updated: May 4, 2024 15:31 IST

किसान भाईयों को सिंचाई के साधन व फसल का उचित दाम नहीं मिलने तथा संसाधनों के अभाव एवं रोजी-रोटी के लिए लाखों साथियों के पलायन का कष्ट देखता हूं तो मुझे मेरा दर्द महसूस भी नहीं होता।

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पटना: कमर दर्द से परेशान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने स्वास्थ्य को लेकर बताया है कि आखिर किस वजह से यह समस्या सामने आई है। उन्होंने कहा कि बीते काफी समय से कमर दर्द से परेशान हैं। शुक्रवार को भी उन्हें काफी दर्द था। सुरक्षा कर्मियों की मदद से उन्हें उस चुनावी मंच से उतरते देखा भी गया था, जिसका वीडियो भी काफी प्रचारित हुआ था। शनिवार को सोशल मीडिया में एक्स में लिखे अपने एक पोस्ट में तेजस्वी ने कहा कि महीनों से उलट-पलट वाली अथक सामाजिक राजनीतिक यात्रा रही है। आराम के अभाव एवं निरंतर यात्रा के कारण दो हफ़्ते से कमर में हल्का दर्द था, दो दिन से अचानक बढ़ गया।

तेजस्वी ने कहा है कि भले ही दर्द कितना हो, रुकना नहीं है ...झुकना नहीं ....,लक्ष्य प्राप्त किए बिना रुकना मेरे खून में नहीं है। मेरा ये दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ के आगे कुछ भी नहीं है, जो नौकरी-रोजगार की आस में बैठे हैं। जिनके सपनों को विगत 10 वर्षों में धर्म की आड़ में कुचला गया है। तेजस्वी ने लिखा है कि मैं अपने दर्द को भूल जाता हूं, जब देखता हूं कि कैसे गरीब माताओं-बहनों को महंगाई के कारण रसोई चलाने में भारी पीड़ा का अनुभव होता है।

किसान भाईयों को सिंचाई के साधन व फसल का उचित दाम नहीं मिलने तथा संसाधनों के अभाव एवं रोजी-रोटी के लिए लाखों साथियों के पलायन का कष्ट देखता हूं तो मुझे मेरा दर्द महसूस भी नहीं होता। छात्र को पीड़ा हैं क्यूंकि उन्हें अच्छी पढ़ाई नहीं मिल पा रही। बिहार के मेरे बुजुर्गों की पीड़ा है कि उन्हें अच्छी दवाई नहीं मिल पा रही, थाना और ब्लॉक के भ्रष्टाचार से आमजन परेशान है।

हर वर्ग को पीड़ा है क्यूंकि उनके अधिकार, उनका न्याय उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मैं इन सबों की तकलीफ में अपने आप को साझीदार मानता हूं। बिहार में एनडीए सरकार से जनता त्रस्त है। ऐसे में यदि मैंने अपनी पीड़ा की चिंता की और ये कदम रुक गए तो फिर लोगों की उम्मीदें भी बुझ जाएगी तथा महंगाई, तानाशाही, अत्याचार और अन्याय की आग में बिहार झुलसता रहेगा।

इसलिए मैंने तय किया है कि भले ही बाधा कितनी हो, भले ही दर्द कितना हो, रुकना नहीं है, झुकना नहीं है और थकना नहीं है। लक्ष्य की प्राप्ति तक चलते जाना है, बढ़ते जाना है, जीतते जाना है जीताते जाना है। लक्ष्य प्राप्त किए बिना रुकना मेरे खून में नहीं है।

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