जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल, सीएम नीतीश कुमार को देनी पड़ी सफाई, किताब और फोटो लेकर घूम रहे मुख्यमंत्री
By एस पी सिन्हा | Published: April 29, 2023 05:41 PM2023-04-29T17:41:16+5:302023-04-29T17:42:40+5:30
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में लोकसेवक (आईएएस के हत्यारे को नहीं छोड़ने का प्रावधान) के मामले को खत्म कर दिया गया तो क्या दिक्कत है? आप जरा बताइये कि कोई भिन्नता होना चाहिये?
पटनाः बिहार में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई पर देश भर में उठ रहे सवालों का जवाब देने में बिहार सरकार परेशान है। पहले मुख्य सचिव आमीर सुबहानी के द्वारा सफाई दी गई, उसके बाद खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सफाई देनी पड़ी है।
सबसे मजेदार बात तो यह है कि जवाब देने के लिए नीतीश कुमार अपने साथ किताब और फोटो दोनों लेकर घूम रहे हैं। नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में लोकसेवक (आईएएस के हत्यारे को नहीं छोड़ने का प्रावधान) के मामले को खत्म कर दिया गया तो क्या दिक्कत है? आप जरा बताइये कि कोई भिन्नता होना चाहिये?
क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान्य आदमी की हत्या दोनों में फर्क रहना चाहिये? आज तक कहीं होता है? 27 का हुआ है तो एक ही पर चर्चा हो रही है। किस बात पर चर्चा हो रही है? इसका तो कोई मतलब नहीं है। ऐसे में नीतीश कुमार के इस बयान पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
जानकारों का मानना है कि आज जो नीतीश कुमार आम और खास की बात कर रहे हैं, यह सवाल आया कहां से? दरअसल, नया जेल मैनुअल 2012 से लागू है। लेकिन 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 48 (1)(क) में अपवाद जुड़ा जिसमें ‘सरकारी काम पर तैनात लोक सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में हत्या हेतु आजीवन कारावास में हो, रिहा नहीं होंगे। यही जोड़ा गया।
यही अपवाद आनंद मोहन की रिहाई में बाधक था। ऐसे में सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को उक्त नियम में संशोधन कर ‘काम पर तैनात लोक सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया। इसी से आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया। हालांकि कानूनविदों की राय में जेल मैनुअल में संशोधन करने का अधिकार सरकार को है।
यह कानूनी तौर पर गलत नहीं है क्योंकि इसका लाभ एक को नहीं, सबको मिलेगा। लेकिन सवाल यह उठाया जाने लगा है कि आज नीतीश कुमार जिस आम और खास की चर्चा कर रहे हैं, वह भी किया कराया नीतीश कुमार का हीं था। लेकिन आज उसपर सफाई देते चल रहे हैं। ऐसे में इसे संयोग ही कहेंगे कि नियमावली में दोनों संशोधन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के शासन काल में ही हुए।