Bihar SIR Final Voter List Released LIVE: निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी जिसमें कुल मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ है। राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले मतदाताओं की कुल संख्या 7.89 करोड़ थी। हालांकि, अंतिम आंकड़ा बीते एक अगस्त को जारी मसौदा सूची में दर्ज 7.24 करोड़ से ज़्यादा है, जिसमें मृत्यु, प्रवास और मतदाताओं के नाम के दोहराव सहित विभिन्न कारणों से मूल सूची से 65 लाख मतदाताओं को हटा दिया गया था।
आयोग ने कहा कि संभावित मतदाताओं द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों और पार्टियों व व्यक्तियों द्वारा दर्ज की गई आपत्तियों के एक महीने तक चले मूल्यांकन के बाद मसौदा सूची से 3.66 लाख मतदाताओं को हटाया गया, जबकि 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए। चुनाव प्रक्रिया के दौरान पूरक सूचियां प्रकाशित होने के बाद अंतिम आंकड़े में थोड़ा बदलाव हो सकता है।
निर्वाचन आयोग की इस कवायद का विपक्ष ने तीखा विरोध किया है और आयोग पर सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। आयोग ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया के तहत दावे और आपत्तियों पर विचार करने के बाद बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ‘‘अंतिम मतदाता सूची’’ जारी कर दी।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आयोग को टैग करते हुए अपने फेसबुक पेज पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, ‘‘ विशेष गहन पुनरीक्षण के आलोक में 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई है। लोग संबंधित लिंक पर क्लिक कर अपने नाम देख सकते हैं।’’ हालांकि, राज्यभर का अंतिम आंकड़ा अभी आना बाकी है।
मसौदा सूची में मतदाताओं की संख्या 7.24 करोड़ थी, जिसमें ‘‘अनुपस्थित’’, ‘‘स्थानांतरित’’ या ‘‘मृत’’ पाए गए करीब 65 लाख नाम हटाए गए थे। इसी बीच, पटना जिला प्रशासन ने एक बयान जारी कर बताया कि जिले के 14 विधानसभा क्षेत्रों में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 48.15 लाख है। यह संख्या एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची की तुलना में 1.63 लाख अधिक है।
जिले में महिला मतदाताओं की संख्या 22.75 लाख है और दीघा विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 4.56 लाख मतदाता दर्ज हैं। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा जल्द होने की संभावना है। इस बीच, देशव्यापी स्तर पर किए जाने वाले आयोग के इस एसआईआर अभियान ने विवाद खड़ा कर दिया है।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया उन मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाने के लिए की जा रही है जो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को वोट नहीं देंगे। कुछ दलों ने इस मामले को उच्चतम न्यायालय में भी उठाया है।
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा नेताओं का कहना है कि एसआईआर ‘‘घुसपैठियों’’ को बाहर करने के लिए जरूरी है, जिन्हें कथित तौर पर विपक्षी इंडिया गठबंधन बचाना चाहता है और मताधिकार दिलाना चाहता है।