‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत
By एस पी सिन्हा | Updated: December 6, 2025 16:34 IST2025-12-06T16:33:52+5:302025-12-06T16:34:53+5:30
उद्घाटन के बाद सम्राट चौधरी ने बताया कि यह पोर्टल पुलिस सेवाओं को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

file photo
पटनाः बिहार पुलिस ने डिजिटल बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने ‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत कर दी है। इस ऐप के माध्यम से अब लोग घर बैठे अपनी शिकायतें पुलिस तक पहुंचा सकेंगे और विभिन्न प्रकार की समस्याओं के त्वरित समाधान की सुविधा प्राप्त करेंगे। शनिवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित समारोह के दौरान गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने इस पोर्टल का औपचारिक उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि आम जनता को अब छोटी-छोटी सेवाओं के लिए थानों और कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़े, बल्कि घर बैठे डिजिटल माध्यम से सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों। उद्घाटन के बाद सम्राट चौधरी ने बताया कि यह पोर्टल पुलिस सेवाओं को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे नागरिकों का समय, ऊर्जा और धन तीनों की बचत होगी। साथ ही यह व्यवस्था पुलिसिंग को ज्यादा जवाबदेह, पारदर्शी और जन सुलभ बनाएगी। इस पोर्टल के जरिए लोग कई सेवाओं का ऑनलाइन लाभ उठा सकेंगे। जिसमें पुलिस सत्यापन, ई-शिकायत पंजीकरण, खोया-पाया सूचना शामिल है। अधिकारियों के अनुसार, शिकायत दर्ज होते ही संबंधित थाना को अलर्ट मिल जाएगा।
प्रारंभिक जांच में यदि शिकायत सही पाई जाती है तो ऑनलाइन दर्ज आवेदन के आधार पर एफआईआर भी की जा सकेगी। पोर्टल को इस तरह विकसित किया गया है कि शिकायतकर्ता अपने आवेदन की स्थिति रियल-टाइम में देख सकेगा, जिससे अनावश्यक दौड़-भाग पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
उद्घाटन कार्यक्रम में बिहार के डीजीपी विनय कुमार, एडीजी कुंदन कृष्णन सहित पुलिस मुख्यालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने बताया कि यह मंच लगातार विस्तारशील होगा और भविष्य में इससे जुड़ी सेवाओं की संख्या और बढ़ाई जाएगी, ताकि अधिकतम सरकारी प्रक्रियाएं सीधे नागरिकों तक ऑनलाइन पहुंच सकें।
सिटीजन सर्विस पोर्टल को बिहार में पुलिसिंग के आधुनिकीकरण की दिशा में एक नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, ऐप लॉन्च करने के बाद सम्राट चौधरी पुलिस मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने डीजीपी और वरीय पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस बैठक में राज्य की कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और डिजिटल सिस्टम को मजबूत बनाने पर विस्तार से चर्चा की गई।
बिहार पुलिस का यह डिजिटल कदम राज्य में स्मार्ट पुलिसिंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इसके बाद डीजीपी विनय कुमार ने थानेदार से लेकर एसपी तक के लिए बड़ा आदेश जारी कर दिया है। दरअसल, अब थानेदार से लेकर एसपी-एसएसपी के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।
डीजीपी ने सभी थानों को स्पष्ट आदेश दिया है कि किसी भी दर्ज घटना की प्रोग्रेस रिपोर्ट सात दिनों के भीतर देना जरूरी होगा। थानाध्यक्षों को इस प्रक्रिया में पूरी जवाबदेही के दायरे में लाया गया है। इसके साथ ही यह भी कहा, संगठित अपराध और गिरोहों को खत्म करने के लिए सभी रेंज लेवल पर एटीएस और हर जिले में एसटीएफ के गठन की प्रक्रिया अंतिम फेज में है।
इन इकाइयों में केवल उन्हीं कर्मियों की तैनाती होगी, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड मजबूत है और जिन्होंने विशेष प्रशिक्षण लिया हुआ है। क्राइम इन्वेस्टीगेशन की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी डीजीपी ने विशेष जोर दिया है। उन्होंने कहा कि कमजोर इन्वेस्टिगेशन करने वाले अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई होगी।
विनय कुमार ने यह भी कहा कि अधिकारियों पर कार्रवाई इसलिए की जायेगी ताकि आरोपित साक्ष्य की कमजोरी के कारण जमानत पर बाहर न निकल सकें। जमानत पर आए अपराधियों की गतिविधियों की वीकली निगरानी होगी और दोबारा अपराध की कोशिश पर तुरंत जमानत रद्द कराने का प्रस्ताव भेजा जायेगा।
डीजीपी ने कहा कि केवल सख्त और प्रभावी कार्रवाई से ही अपराधियों में भय स्थापित किया जा सकेगा और थानों की तरफ से अभियान सिर्फ औपचारिकता न बने, यह सुनिश्चित करना होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार डीजीपी विनय कुमार जवाबदेही आधारित पुलिसिंग प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए सभी जिलों की अपराध स्थिति की मासिक समीक्षा भी करेंगे।
इससे पहले गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने बिहार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को तीन महीने में यातायात सुधारने, अवैध खनन की रिपोर्टिंग प्रणाली को प्रभावी बनाने और फर्जी जमीन सौदों में शामिल लोगों की पहचान के लिए विशेष मैकेनिज्म तैयार करने का आदेश दिया है।