बिहार राज्यसभा चुनावः 5 सीट खाली, राजद के सामने 1 सीट संकट, एक सदस्य के लिए 48 विधायकों की जरूरत, देखिए विधानसभा आंकड़े
By एस पी सिन्हा | Updated: December 18, 2025 18:23 IST2025-12-18T18:22:08+5:302025-12-18T18:23:07+5:30
Bihar Rajya Sabha elections: बिहार विधानसभा में 202 विधायक एनडीए के हैं और शेष 41 अन्य दलों के पास हैं। राज्यसभा में एक सदस्य के चुनाव के लिए 48 विधायकों की जरूरत होती है।

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पटनाः बिहार से राज्यसभा की खाली होने वाली पांच सीटों को लेकर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। सियासी गलियारे में कई उम्मीदवार चक्कर लगाने लगे हैं। दरअसल, राज्यसभा में बिहार के पांच सदस्य अगले वर्ष कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं, जिनमें राजद के प्रेमचंद गुप्ता और एडी सिंह, जदयू के हरिवंश नारायण और रामनाथ ठाकुर, तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं। हालांकि, राज्यसभा का गणित काफी सटीक है। बिहार विधानसभा में 202 विधायक एनडीए के हैं और शेष 41 अन्य दलों के पास हैं। राज्यसभा में एक सदस्य के चुनाव के लिए 48 विधायकों की जरूरत होती है। ऐसे में चार सीटों पर कुल 192 विधायकों की संख्या तय कर देती है कि एनडीए अपने उम्मीदवार को भेजने में पूरी तरह सक्षम है।
लेकिन पांचवीं सीट के लिए अन्य दलों के सहयोग की दरकार रहेगी, वरना यह सियासी पेंच जटिल बन सकता है। जमीनी रणनीति के अनुसार, जदयू अपने दोनों वरिष्ठ नेताओं हरिवंश नारायण और रामनाथ ठाकुर को ही रिपीट करने का मन बना चुकी है। हरिवंश राज्यसभा के सभापति हैं और रामनाथ ठाकुर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में हैं, इसलिए उनका फिर से चयन राजनीतिक रूप से सुरक्षित विकल्प है।
भाजपा की ओर से दो सीटों पर उम्मीदवार तय माने जा रहे हैं, जिसमें कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन का नाम पहले से फाइनल है। नितिन नवीन ने हाल ही में मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देकर यह रास्ता साफ किया है। चौथी और पांचवीं सीट को लेकर भी बड़े पेंच बने हुए हैं। 2025 में हुए विधानसभा समझौते के अनुसार, लोजपा रामविलास को एक सीट मिलेगी।
जिसे चिराग पासवान की मां रीना पासवान को दिया जाएगा। वहीं, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा को दूसरी सीट दोबारा भेजा जाएगा। लेकिन चौथी और पांचवीं सीट के लिए जिसे भी उम्मीदवार चाहिए, उसे वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा और राजनीतिक गठजोड़ों की बड़ी रणनीति अपनानी होगी।
सियासी जानकार मानते हैं कि नए वर्ष में बिहार की ये पांच राज्यसभा की सीटें केवल नामों का खेल नहीं, बल्कि सत्ता समीकरण, गठबंधन राजनीति और विधायकों की ताकत का असली परीक्षा मैदान साबित होंगी। जहां एक ओर एनडीए को अपनी संख्या बल का लाभ है, वहीं महागठबंधन को रणनीतिक चालें चलकर ही सीटें हासिल करनी होंगी।