पटनाः राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आगामी बिहार चुनावों में पार्टी को छह सीटें दिए जाने से कई लोग निराश हो सकते हैं। कुशवाहा ने कहा कि यह फैसला "हजारों-लाखों लोगों को दुखी करेगा", जिनमें चुनाव लड़ने के इच्छुक सहयोगी भी शामिल हैं। उन्होंने पार्टी की बाधाओं और उन परिस्थितियों को समझने का आग्रह किया जिनके कारण यह फैसला लिया गया। कुशवाहा ने लिखा कि आप सभी से क्षमा चाहता हूं। आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पायी। मैं समझ रहा हूं, इस निर्णय से अपनी पार्टी के उम्मीदवार होने की इच्छा रखने वाले साथियों सहित हजारों - लाखों लोगों का मन दुखी होगा। आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा। परन्तु आप सभी मेरी एवं पार्टी की विवशता और सीमा को बखूबी समझ रहे होंगे।
किसी भी निर्णय के पीछे कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जो बाहर से दिखतीं हैं मगर कुछ ऐसी भी होती हैं जो बाहर से नहीं दिखतीं। हम जानते हैं कि अन्दर की परिस्थितियों से अनभिज्ञता के कारण आपके मन में मेरे प्रति गुस्सा भी होगा, जो स्वाभाविक भी है। आपसे विनम्र आग्रह है कि आप गुस्सा को शांत होने दीजिए, फिर आप स्वयं महसूस करेंगे कि फैसला कितना उचित है या अनुचित।
फिर कुछ आने वाला समय बताएगा। फिलहाल इतना ही। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की घोषणा के बाद सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के बीच फिर से मतभेद उभरकर सामने आए हैं। राजग के दो छोटे सहयोगी दल केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) को छह-छह सीट मिलने पर दोनों दलों ने सीट बंटवारे के फार्मूले को लेकर असंतोष जताया है।
राजग ने रविवार को 243 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए सीट बंटवारे की घोषणा की थी, जिसके तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 101-101 सीट पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि शेष सीट छोटे घटक दलों को दी जाएंगी। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीट पर उम्मीदवार उतारेगी।
मांझी ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऊपर से जो फैसला हुआ है, हमने उसे स्वीकार किया है। लेकिन सिर्फ छह सीट देकर हमें कमतर आंका गया है। इसका असर चुनाव में राजग पर पड़ेगा।’’ वहीं, कुशवाहा ने सीट बंटवारे की घोषणा के बाद देर रात ‘एक्स’ पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए लिखा, ‘‘प्रिय साथियों, मैं आप सबसे क्षमा मांगता हूं।
हमें जितनी सीट मिली है, वह आपकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं। मैं समझता हूं कि यह फैसला उन साथियों को आहत करेगा जो हमारी पार्टी से उम्मीदवार बनने की उम्मीद रखे थे।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा। फिर भी मुझे भरोसा है कि आप सभी मेरी और पार्टी की मजबूरियों को समझेंगे।
मैं विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि पहले आप सबका गुस्सा शांत हो जाए, फिर खुद समझ पाएंगे कि यह फैसला कितना सही या गलत था। बाकी बात समय बताएगा।’’ मांझी अपनी पार्टी को मान्यता दिलाने के लिए कम से कम 15 सीट की मांग कर रहे थे। वह दिल्ली में सीट बंटवारे की घोषणा से ठीक पहले पटना लौट आए, हालांकि उन्होंने खुले तौर पर बगावत का रुख नहीं अपनाया।
यह पहली बार है जब बिहार में राजग के दोनों छोटे घटक दल बराबर संख्या में सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इधर, पटना में कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने राजग पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘सीट बंटवारे से यह साफ है कि भाजपा ने नीतीश कुमार को सीमित कर दिया है। अब तक हर चुनाव में जदयू भाजपा से ज्यादा सीट पर लड़ती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
यह स्पष्ट संकेत है कि आने वाले दिनों में भाजपा जदयू को पूरी तरह निगल जाएगी।’’ राजग के अन्य घटक पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को छह-छह सीट दी गई हैं। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में राजग के शीर्ष नेताओं की बैठक में सीट बंटवारे पर “सौहार्दपूर्ण माहौल” में सहमति बनी। मांझी संतुष्ट नजर नहीं आये।
वह पहले “कम से कम 15 सीट” की मांग कर रहे थे, ताकि उनकी पार्टी को विधानसभा में “मान्यता प्राप्त दल” का दर्जा मिल सके। पटना पहुंचने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, “उच्च नेतृत्व ने जो फैसला किया है, उसे हमने स्वीकार कर लिया। लेकिन हमें केवल छह सीट देकर हमारी ताकत को कम करके आंका गया है। इसका नुकसान राजग को चुनाव में उठाना पड़ सकता है।”
हालांकि मांझी ने यह भी दोहराया कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ “आखिरी सांस तक” रहेंगे। कई दिनों की गहन चर्चा और मंथन के बाद रविवार को बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के बीच विधानसभा चुनाव के लिए सीट का बंटवारा हो गया जबकि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में इस मुद्दे को लेकर अब भी पेंच फंसा हुआ है।
राजग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 243 सदस्यीय विधानसभा में 101-101 सीट पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि शेष सीट छोटे सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई हैं। यह पहला अवसर है जब बिहार में राजग के दोनों प्रमुख घटक जदयू और भाजपा समान संख्या में सीट पर चुनाव लड़ेंगे।
घोषणा ऐसे समय में की गई जब चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख में अब एक सप्ताह से भी कम का समय बचा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के बराबर सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है। कुमार लगातार पांचवीं बार सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा कभी जदयू की कनिष्ठ सहयोगी मानी जाती थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वह राज्य में अपनी पैठ लगातार मजबूत करती रही है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 29 सीट मिली हैं। वर्ष 2020 के चुनाव में चिराग पर जदयू को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे, जब उन्होंने गठबंधन से बगावत कर अलग लड़ाई लड़ी थी।
पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है और उम्मीदवारों में बेचैनी स्पष्ट दिखने लगी है। लालू परिवार के दिल्ली रवाना होते समय उनके आवास के बाहर कार्यकर्ताओं ने जमकर नाराजगी जताई। बिहार में दो चरणों में मतदान छह और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।