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Bihar Polls 2025: बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने किया ऐलान तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव मैदान में उतरेगा महागठबंधन

By एस पी सिन्हा | Updated: May 11, 2025 16:15 IST

तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री घोषित करना है या नहीं करना है, इस पर सामूहिक चर्चा के बाद ही बता पाएंगे। इसी बीच बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि सीटों के बंटवारे और बातचीत बैठकर कर लेंगे। हालांकि यह तय है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव में उतरने का फैसला लिया है।

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इस सवाल पर कांग्रेस और राजद के बीच मचे घमासान की स्थिति है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने ऐलान किया है कि चुनाव बाद मुख्यमंत्री तय किया जाएगा। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री घोषित करना है या नहीं करना है, इस पर सामूहिक चर्चा के बाद ही बता पाएंगे। इसी बीच बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि सीटों के बंटवारे और बातचीत बैठकर कर लेंगे। हालांकि यह तय है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव में उतरने का फैसला लिया है।

राजेश राम ने कहा बिहार में भाजपा की चुनौती है, लेकिन हम लोग संगठन को सशक्त कर चुनाव में  उतरने की तैयारी कर चुके हैं। चुनावी कैंपेन को भी धार देंगे। उन्होंने साफ किया कि गठबंधन को लेकर जो कन्फ्यूजन हुआ है, उसे हम दूर करना चाहते हैं। गठबंधन का मौजूदा स्वरूप कायम रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने बिहार में इसी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जातीय जनगणना को कांग्रेस के संघर्ष की जीत बताया। 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर देशभर में लगभग ढाई साल तक जनजागरण अभियान चलाया। राहुल गांधी ने लगातार संसद से लेकर सड़कों तक जातीय जनगणना की मांग को उठाया और यह उसी का परिणाम है कि केंद्र सरकार को मंजूरी देनी पडी है। राजेश राम ने दावा किया कि इससे देश के वंचित वर्गों को हक और सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के सभी घटक दल पूरी तरह एकजुट हैं। राजेश राम ने स्पष्ट किया कि महागठबंधन की सभी "खिड़कियां" बंद कर दी गई हैं, यानी किसी भी तरह का भ्रम या अलगाव नहीं है। 

उन्होंने भरोसा जताया कि आगामी चुनाव में एनडीए सरकार को सत्ता से बाहर कर जनता को नया विकल्प दिया जाएगा। दूसरी तरफ कन्हैया कुमार की बिहार में सक्रियता के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के नेता हैं और बिहार में चुनावी तैयारी करना उनका कर्तव्य भी बनता है। अभी हाल ही में उन्होंने बिहार में यात्रा की थी। वहीं, पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव के कांग्रेस में होने के दावे पर उन्होंने चुप्पी साध ली। लेकिन कहा कि कांग्रेस के विचारों को मानने वाले सभी लोगों का पार्टी सम्मान करती है। जहां बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार का सवाल है तो यह पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व तय करता है। लेकिन पप्पू यादव का हम सम्मान करते हैं। 

बता दें कि राजेश कुमार के पिता स्व. दिलकेश्वर राम कांग्रेस में जगजीवन राम के बाद दलित समाज के सर्वमान्य नेता रहे हैं। उनके सरल और मृदुल व्यवहार का हर कोई कायल रहा है। वे पार्टी में हर वर्ग के नेताओं खासकर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सत्येंद्र नारायण सिन्हा के सर्वाधिक प्रिय रहे हैं। राजेश और उनके पिता का चेहरा और कार्यशैली भी एक समान है। इस वजह से पार्टी में भी राजेश की छवि को दिलकेश्वर राम जैसा ही देखा जा रहा है। वैसे भी कांग्रेस आलाकमान बिहार विधानसभा चुनाव के पहले पुराने नेताओं के जगह पर नई पीढ़ी के उर्जावान नेताओं को प्रोमोट कर रही है। 

इसकी पहली झलक युवा तुर्क कन्हैया कुमार को प्रोमोट करने के लिए शुरु की गई रोजगार दो यात्रा में दिखी और यात्रा के शुरू होने के चंद दिन बाद ही पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान राजेश कुमार के हाथों में सौंप दी। जानकार बताते हैं कि राजेश कुमार और कन्हैया कुमार के बीच अच्छी ट्यूनिंग है। दोनों की अपनी जातीय समाज में भी अच्छी पकड़ है और दोनों की यह ट्यूनिंग दो बड़े वर्ग के वोटो को पार्टी से जोड़ने में सहायक हो सकती है। 

माना तो यह भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में पार्टी को और अधिक मजबूती देने के लिए जमीनी पकड़ वाले सभी जाति-वर्ग के नेताओं खासकर युवाओं को प्रदेश संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी जा सकती है। इस स्थिति में कांग्रेस यदि मजबूत होती है, तो निःसंदेह इसका चुनावी लाभ भी मिलेगा। उधर, कांग्रेस ने बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को सीएम फेस बनाने की मांग करने वाले अपने एक नेता को शो कॉज नोटिस जारी कर पर्यवेक्षक के पद से हटा दिया है। 

दरअसल, कांग्रेस के गोपालगंज के पर्यवेक्षक यशवंत कुमार ने राजेश राम को आगामी चुनाव में महागठबंधन का सीएम फेस बनाने की मांग की थी। यशवंत कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। साथ ही उन्होंने राजेश राम को सीएम फेस बनाए जाने की मांग की थी। इसके तत्काल बाद कांग्रेस ने यशवंत कुमार को पर्यवेक्षक पद से हटा दिया और साथ में कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। 

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग भी बिहार में गठबंधन से अलग रहकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का पक्षधर रहा है। इस वर्ग का यह मानना रहा है कि गठबंधन में रहने से पार्टी को सीटों के मामले में लगातार समझौता करना पड़ा है। इससे पार्टी को नुकसान भी हुआ है। इनका मानना है कि पार्टी यदि स्वतंत्र होकर चुनाव लड़ते है तो नये लोगों को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगी। पार्टी का संगठन मजबूत होगा और गठबंधन की मजबूरी खत्म होगी। इस स्थिति में पार्टी बिहार में सत्ता में आने लायक स्थिति में भी आ सकती है।

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