पटनाः बिस्कोमान निदेशक मंडल एवं पदाधिकारी चुनाव के पांच दिन बाद पुनर्मतगणना के आदेश पर पूर्व विधान पार्षद और पूर्व अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह भड़क गए हैं। उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुनर्मतगणना के नाम पर बड़ी गड़बड़ी की संभावना है। सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि बिहार में सरकार ’डीके’ के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि "पलटू राम" के कहने की वजह से यह कार्रवाई की जा रही है। उन्हें हराने के लिए चुनाव को पांच बार स्थगित कराया गया। उन्होंने कहा कि बिस्कोमान चुनाव मामला लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ध्वस्त करने वाला है। सुनील सिंह ने कहा कि बिस्कोमान चुनाव में गड़बड़ी का पूरा काम 'डीके' के निर्देशन में होने संभावना है।
यदि परिणाम में फेरबदल होता है तब जिनके निगरानी में चुनाव हुआ उन्हें हटाया जाना चाहिए। बेईमान शासक वर्ग गड़बड़ी कराने की साजिश कर रहे हैं। यह सहकारिता आंदोलन के लिए यह काला अध्याय के रूप में जाना जाएगा। सुनील सिंह ने कहा कि अपने लोगों के निर्वाचित होता ना देखकर पहले चुनावी प्रक्रिया की तिथि कई बार बढ़ाई गई।
बाद में सहकारी चुनाव प्राधिकार के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की निगरानी में चुनाव संपन्न हुआ। वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई, लेकिन चुनाव संपन्न होने के पांच दिन बाद मतगणना दुबारा कराने का निर्णय गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि चुनाव कुल 17 सीटों के लिए हुआ था, इसमें 12 हमारे पक्ष के जीतकर आए जबकि सरकार के समर्थित पैनल के मात्र 5 जीतकर आए हैं।
इसके बाद अब पुनर्मतगणना की बात की गई, जबकि कोई आपत्ति नहीं जताई गई थी। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ मेयर कांड से भी बड़ा कांड पटना में होने की संभावना है। सुनील सिंह ने 4 बिंदुओं पर मांग की कि आगामी एक फरवरी को होने वाले पुनर्मतगणना में यह सुनिश्चित किया जाय कि सहकारी चुनाव प्राधिकार के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पुनर्मतगणनामें मौजूद रहे।
यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि चुनाव उनके निगरानी में ही संपन्न कराया गया था। पुनर्मतगणना की प्रक्रिया का वीडियो रिकॉर्डिंग करवाया जाए एवं चुनावी प्रक्रिया के सभी साक्ष्य एवं बैलेट को किसी मजिस्ट्रेट के निगरानी में सभी निदेशकों की मौजूदगी में सील किया जाए। अगर किसी परिस्थिति में इस चुनाव वोटों की गिनती में किसी प्रकार का फेरबदल होता है तो सबसे पहले प्राधिकार के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और बिस्कोमान चुनाव के निर्वाचन पदाधिकारी को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
अगर राज्य एवं केंद्र सरकार यह मन बना चुकी है कि प्रजातांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव सम्पन्न नहीं होने देना है और कुछ चुनिंदा लोगों की ही जबरन नियुक्ति करनी है तो बेहतर यही होगा कि एमएससीएस में बदलाव लाकर सभी निदेशकों को मनोनीत कर दिया जाए और चुनाव की प्रक्रिया को समाप्त ही कर दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि सुनील सिंह 21 वर्षों तक बिस्कोमान के अध्यक्ष रहे। बीते 26 जुलाई 2024 को उन्हें बिस्कोमान के अध्यक्ष पद से हटाया गया था। इस बार हुए चुनाव में डॉ सुनील कुमार सिंह की पत्नी वंदना सिंह व एनसीसीएफ के अध्यक्ष विशाल सिंह के बीच सीधा मुकाबला हुआ।
24 जनवरी को बिस्कोमान मंडल के चुनाव के बाद मतगणना में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर केन्द्रीय सहकारिता प्राधिकार ने पुनर्मतगणना का आदेश जारी किया है। 29 जनवरी को सभी विजयी उम्मीदवारों को सर्टिफिकेट दिया जाना था, लेकिन उसके पहले ही पुनर्मतगणना का आदेश आ गया।