Bihar Politics News: "रावण रूपी अशोक चौधरी", मंत्री अशोक चौधरी के खिलाफ शुरू हुआ पोस्टर वार, जदयू कार्यालय के बाहर बैनर
By एस पी सिन्हा | Updated: September 3, 2024 14:19 IST2024-09-03T14:18:34+5:302024-09-03T14:19:48+5:30
Bihar Politics News: जदयू कार्यालय के साथ साथ पटना के अलग-अलग सड़कों पर सवर्ण सेना के द्वारा यह पोस्टर लगाया गया है।

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पटनाः भूमिहार समाज पर मंत्री अशोक चौधरी के द्वारा दिए गए बयान को लेकर बिहार में सियासत गर्मायी हुई है। पक्ष विपक्ष के तमाम भूमिहार नेता अशोक चौधरी का विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब सवर्ण सेना के द्वारा जदयू कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है। इस पोस्टर में अशोक चौधरी को दस सिर वाला रावण दर्शाया गया है। साथ ही लिखा गया है कि "रावण रूपी अशोक चौधरी"। जदयू कार्यालय के साथ साथ पटना के अलग-अलग सड़कों पर सवर्ण सेना के द्वारा यह पोस्टर लगाया गया है। इसमें मंत्री को बर्खास्त करने की मांग भी की गई है।
सवर्ण सेना ने कहा है कि जब तक बर्खास्त नहीं तब तक बर्दास्त नहीं। पोस्टर को सवर्ण सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता पुरुषोत्तम राज के द्वारा लगाया गया है। इस पोस्टर को जदयू कार्यालय, इनकम टैक्स गोलंबर समेत कई जगहों पर लगाया गया है। पोस्टर में अशोक चौधरी को रावण रूपी दिखाया गया है। प्रभु श्रीराम की तस्वीर है और नीचे भूमिहार लिखा गया है।
श्रीराम के द्वारा रावण रूपी अशोक चौधरी पर तीर चलाते हुए दिखाया गया है। पोस्टर पर लिखा है रावण रूपी अहंकारी मंत्री अशोक चौधरी का घमंड तोड़ेगा बिहार का भूमिहार समाज। जातिवादी मानसिकता वाले मंत्री को बर्खास्त करो, जब तक बर्खास्त नहीं तब तक बर्दाश्त नहीं। सवर्ण सेना ने कहा है कि एनडीए को वोट भी दे भूमिहार और अपमान भी भूमिहार दोनों संभव नहीं।
बता दें कि अशोक चौधरी ने जब से भूमिहारों को लेकर विवादित बयान दिया है तब से ही बिहार में सियासी हलचल तेज है। भूमिहार समाज के द्वारा अशोक चौधरी का विरोध किया जा रहा है। दरअसल, अशोक चौधरी ने बीते दिन जहानाबाद में भूमिहारों को लेकर विवादित बयान दिया था। अशोक चौधरी ने जहानाबाद संसदीय क्षेत्र से जदयू प्रत्याशी चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी की हार का ठीकरा भूमिहारों पर फोड़ दिया था।
उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रम में भूमिहारों को खुल्लम खुल्ला भूमिहारों को धमकाने के अंदाज में कहा था कि ऐसे में नहीं मिलेगा विधानसभा का टिकट, आप लोगों का कोई उसूल नहीं। इतना ही नहीं भूमिहारों के खिलाफ अति पिछड़ों को भी उकसाने की कोशिश की थी। जिसके बाद से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है।