बिहार के कोरोना आंकड़े पर सवाल, IMA ने कहा- अबतक 25 डॉक्टरों की मौत, सरकार का दावा, तेजी से घट रहे हैं संक्रमित
By एस पी सिन्हा | Published: August 25, 2020 06:30 PM2020-08-25T18:30:22+5:302020-08-25T18:47:52+5:30
कोरोना संक्रमण कितना खतरनाक होता जा रहा है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के डॉक्टर अब इसकी जद में आ रहे हैं. पटना के पीएमसीएच में 2 डॉक्टर और कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और उनका इलाज किया जा रहा है.
पटनाः बिहार में जिस तरह कोरोना के संक्रमण में गिरावट का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दर्शाया जा रहा है, उससे तो लगता है कि सितम्बर तक बिहार में कोरोना पूरी तरह से नियंत्रित हो जाएगा.
इन आंकड़ों के सामने आने के बाद लोग जिस तरह से कोरोना को लोग भी भूलने लगे हैं और उन्हें डर नहीं लग रहा है. ऐसे में यह संभावना व्यक्त की जाने लगी है कि कहीं स्थिति और न भयावह हो जाए. हालांकि जानकारॊं के अनुसार यह संक्रमण धीरे-धीरे अपना पांव पसारता जा रहा है. इस संक्रमण को फैलने में लोगों की लापरवाही मदद कर रही है.
कोरोना संक्रमण कितना खतरनाक होता जा रहा है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के डॉक्टर अब इसकी जद में आ रहे हैं. पटना के पीएमसीएच में 2 डॉक्टर और कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और उनका इलाज किया जा रहा है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक आंकड़ा जारी करते हुए कहा है कि बिहार में कोरोना से अब तक 25 डॉक्टरों की मौत हो गई है. सबका लिस्ट जारी करते हुए आईएमए ने उनके परिवारों को आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई है. पिछले एक महीने से जांच की रफ्तार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी का दावा किया जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हर रोज एक लाख से भी ज्यादा सैम्पल की जांच हो रही है. इस जांच में केवल 1 से 2 फीसदी लोग ही संक्रमित पाए जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी ताजा अपडेट के मुताबिक बिहार में आज केवल 1444 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. इसके साथ ही राज्य में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1, 24, 827 हो गया है.
इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मृतक डॉक्टरों की जो सूची जारी की है इनमें सबसे अधिक पटना के सात डॉक्टरों की मौत हुई है इनमें पीएमसीएच में इनएनटी विभाग के डॉ एन.के. सिंह, डॉ अवधेश प्रसाद सिंह, पीएमसीएच के रेडियोथेरेपी विभाग से सेवा निवृत डॉ मिथिलेश कुमार सिंह, सीनियर डेंटल सर्जन डॉ गोविंद प्रसाद, डॉ परमानंद कुमार, पटना के डॉ यूके श्रीवास्तव और पटना के डॉ दीपक शामिल हैं.
इनके अलावा अलावा कोविड 19 से संक्रमित हुए मुजफ्फरपुर के डॉ संजीव कुमार, के डॉ वी बीपी सिन्हा, समस्तीपुर के सिविल सर्जन रहे डॉ रति रमण झा और के डॉ पी महतो, भागलपुर के डॉ आर बी झा, छपरा के डॉ आनंद शंकर, कटिहार के डॉ दीना नाथ पोद्दा और दरभंगा के डॉ अवध किशोर प्रसाद की भी मौत हुई है.
वहीं, वैशाली के डॉ अविनाश कुमार एस, गया के डॉ. अश्वनी नंदकुलियार, भोजपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कल्याण कुमार, अररिया के डॉ जी एन शाह, सुपौल के डॉ महेंद्र चौधरी, पूर्वी चंपारण के डॉ नागेंद्र प्रसाद और जहानाबाद के डॉ के राजन कुमार ने भी अपनी जान कोरोना के कारण गंवा दी है.
ऐसे में अब सवाल यह उठने लगा है कि अगर एक लाख से ज्यादा सैम्पल की जांच में इतने कम संक्रमित पाए जा रहे हैं तो इसका मतलब तो यहीं है कि कोरोना पूरी तरह से काबू में आ गया है. लेकिन विपक्ष से लेकर समाजसेवी सरकार के इस आंकडे़ को संदेह की नजर से देख रहे हैं. उनकी दलील है कि जब एक महीन पहले 14 हजार सैम्पल में साढे़ तीन हजार संक्रमित मिल रहे थे तो अचानक एक लाख सैम्पल में संक्रमित मरीजों की संख्या घटकर डेढ़ हजार पर कैसे पहुंच गई?
स्वास्थ्य विभाग के द्वारा पटना हाईकोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट पर भी सामाजिक कार्यकर्त्ता सवाल उठा रहे हैं. उन लोगों कहना है कि सरकार ने हाईकोर्ट में जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार एनएमसीएच में एक मरीज पर एक से ज्यादा डॉक्टर और दो स्वास्थ्यकर्मी तैनात हैं.
उनका कहना है कि जिस अस्पताल की बदहाली की तस्वीरें लगातार सोशल मीडिया में वायरल होती रही हैं, उस अस्पताल में सरकार अमेरिका से भी ज्यादा बेहतर व्यवस्था किये जाने का दावा कर रही है. लोगों का कहना है कि पटना हाईकोर्ट को गलत जानकारी दी गई है.