पटना: देश भर में कोरोना संक्रमण के मामले में तेजी से वृद्धि हो रही है। बिहार में भी कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है। ताजा जानकारी के मुताबिक, आज बिहार में कोरोना संक्रमण के 24 मामले दोपहर ढाई बजे तक सामने आ गए हैं। इस तरह प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 450 पर पहुंच गई है। बिहार में कोरोना संक्रमण को रोकना एक तरह से राज्य व केंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।
बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में हो रहे वृद्दि व इसकी गंभीरता को देखते हुए आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के साथ बैठक की है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, बैठक में गर्मी के दिनों में मुजफ्फरपुर में बच्चों में फैलने वाली बीमारी को लेकर भी चर्चा हुई है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमितों की संख्या को रोकने के लिए व अस्पतालों की विधि व्यवस्था पर बात हुई है।
बता दें कि बिहार में कोरोना के बढ़ते मामले को देख अब सरकार के भी होश उड़ने लगे हैं। अभीतक मरीजों की संख्या साढ़े चार सौ पार करते देख अब मरीजों के इंतजाम को लेकर सरकार को चिंता सताने लगी है। कोरोना के लिए डेडीकेटेड अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती भीड़ को देखकर नीतीश सरकार ने हाथ खडे कर दिए हैं। अब इन्हें राजधानी पटना में रखने के लिए सोचने की स्थिती उत्पन्न हो गई है।
ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने अब सभी जिलों के सिविल सर्जन को आदेश दिया है कि जिले में करोना के मरीज पाए जाने के बाद उनका स्थानीय स्तर पर ही इलाज कराया जाये। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किए गए इस आदेश में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि किसी भी संदिग्ध मरीज की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसको तुरंत कोविड-19 अस्पताल में रेफर कर दिया जा रहा है, जबकि स्थानीय स्तर पर जिलों में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने जिलों के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों को नहीं रखे जाने को गंभीर बताते हुए कहा है कि सिविल सर्जन और जिला प्रशासन की तरफ से सभी मामलों को कोविड-19 अस्पताल में रेफर किए जाने से अनावश्यक तौर पर डेडिकेटेड अस्पतालों में दबाव बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ जिलों में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड की उपयोगिता खत्म हो रही है। ऐसी स्थिति में अब जिलों में ही कोरोना के मरीजों को रखने का निर्देश दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिए गए इस आदेश में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि यदि किसी मरीज की तबीयत ज्यादा खराब हो तो ऐसी स्थिति में उसे बेहतर इलाज के लिए डेडिकेट कोविड-19 पर किया जाना चाहिए। किसी सामान्य मरीज को जिले के आइसोलेशन वार्ड में रखकर उसका इलाज कराना ही सबसे बेहतर तरीका होगा। जिलों से किसी मरीज को अब अगर कोरोना डेडिकेटेड हॉस्पिटल में रेफर किया जाएगा तो इसके लिए एक कमिटी की अनुशंसा आवश्यक होगी।