बिहार: नीतीश सरकार ने स्कूली शिक्षकों की छुट्टियों में की गई कटौती के आदेश को लिया वापस
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 5, 2023 10:30 AM2023-09-05T10:30:26+5:302023-09-05T10:38:47+5:30
बिहार में नीतीश शासन द्वारा स्कूली शिक्षकों की छुट्टियों में की गई कटौती से मचे बवाल के बाद अपना विवादास्पद आदेश वापस ले लिया है।
पटना:बिहार में नीतीश शासन द्वारा स्कूली शिक्षकों की छुट्टियों में की गई कटौती से मचे बवाल पर उस समय एक नया मोड़ आया, जब सरकार ने विरोध के तीखे स्वरों को भांपते हुए सरकार ने दिवाली, दुर्गा पूजा, रक्षा बंधन और अन्य त्योहारों पर स्कूल शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती करने वाला अपना विवादास्पद आदेश वापस ले लिया है।
इससे पहले शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करके दिवाली, दुर्गा पूजा, रक्षा बंधन सहित अन्य त्योहारों पर स्कूल शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती करने वाला आदेश जारी किया था, जिसका सूबे के सरकारी शिक्षकों द्वारा विरोध किया जा रहा था।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी नये परिपत्र में कहा गया है, "विभागीय आदेश ज्ञापन संख्या 2112 दिनांक 29.08.2023 के तहत सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक और माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए जारी अवकाश तालिका तत्काल प्रभाव से रद्द की जाती है।"
Bihar Education Department withdraws the notice of reducing the number of festive holidays in government schools from 23 to 11 between September to December. pic.twitter.com/MtMXnZzmSh
— ANI (@ANI) September 5, 2023
इससे पू्र्व बिहार माध्यमिक शिक्षा विभाग ने पहले शिक्षकों के लिए छुट्टियों को 23 से घटाकर 11 करने की घोषणा की थी, जिसके कारण राज्य में शिक्षकों में भारी रोष था और उन्होंने इस आदेश के खिलाफ सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की चेतावनी भी दी थी।
यही नहीं आदेश के विरोध में कई स्कूलों में शिक्षक काली पट्टी बांधकर कक्षाएं लेते हुए दिखाई दिये। हद तो तब हो गई थी, जब कई शिक्षक विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक तक को चुनौती देने के लिए पहुंच गये थे।
नीतीश सरकार के शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती के आदेश पर सूबे की विपक्षी पार्टी भाजपा ने भी जमकर आलोचना की। भाजपा का कहना है कि रक्षाबंधन, दशहरा, दिवाली और छठ की छुट्टियों में कटौती करके नीतीश सरकार तानाशाही कर रही है।
वहीं आदेश के संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया था कि चूंकि उसका लक्ष्य प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में कम से कम 220 दिन कक्षाएं आयोजित करने था, इस कारण से शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती का फैसला लिया गया था।