सवाल पूछते ही भड़के दीपक प्रकाश?, हमारा हर एक मिनट जनता के विकास में, समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं?
By एस पी सिन्हा | Updated: November 22, 2025 15:53 IST2025-11-22T15:50:38+5:302025-11-22T15:53:10+5:30
हमारा हर एक मिनट जनता के विकास और उनके हित में उपयोग होना चाहिए। मेरा समय बर्बाद न करें।

सवाल पूछते ही भड़के दीपक प्रकाश?, हमारा हर एक मिनट जनता के विकास में, समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं?
पटनाः बिहार में नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद विभागों के बंटवारे की आधिकारिक अधिसूचना जारी होते ही सभी मंत्री अपने-अपने विभागों का कार्यभार संभालने में जुट गए हैं। इसी क्रम में पंचायती राज विभाग के नवनियुक्त मंत्री दीपक प्रकाश शनिवार को अपने दफ़्तर पहुंचे। युवा मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल हुए दीपक प्रकाश पहले ही दिन पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आए। उनके कार्यालय में कदम रखते ही उनके तेवर और काम के प्रति गंभीरता साफ झलक रही थी। दीपक प्रकाश ने विभाग का पदभार संभाला तो उनसे भी जब इसी को लेकर सवाल किया गया तो वे बमक गए।
मीडिया कर्मियों से उन्होंने कहा कि वे फॉर्मेलिटी में समय न गंवाएं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आप लोग इन औपचारिकताओं में इतना समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं? इससे न सिर्फ मेरा समय व्यर्थ होता है, बल्कि विभाग का कीमती समय भी बर्बाद होता है। हमारा हर एक मिनट जनता के विकास और उनके हित में उपयोग होना चाहिए। मेरा समय बर्बाद न करें।
मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो भरोसा दिखाया है, उस पर खरा उतरना है। हमारा हर एक मिनट जनता के विकास और उनके हित में उपयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विभाग ग्रामीण विकास की रीढ़ है और सीधे जनता से जुड़ा हुआ है। गांवों की बुनियादी सुविधाओं, पंचायतों की कार्यप्रणाली और ग्रामीण प्रशासन की मजबूती इसी विभाग के माध्यम से सुनिश्चित होती है।
ऐसे में यहां देरी या ढिलाई का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज विभाग काफी दायित्व वाला विभाग है। इस विभाग में कार्य करने वाले प्रत्येक कर्मचारी और अधिकारी के ऊपर ग्रामीण जनता की अपेक्षाएं जुड़ी होती हैं। यहां एक-एक पल बेहद कीमती है। इसलिए अनावश्यक फॉर्मेलिटी में समय लगाने से बेहतर है कि हम जमीन पर कामों को गति देने की दिशा में आगे बढ़ें।
दीपक प्रकाश ने अपने मंत्री बनाए जाने पर उठ रहे सवालों से कन्नी काटने की कोशिश की। पंचायती राज व्यवस्था को और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे। उल्लेखनीय है कि परिवारवादी राजनीति को बढ़ावा देने पर उठ रहे सवालों पर उपेंद्र कुशवाहा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि मेरा पक्ष है कि अगर आपने हमारे निर्णय को परिवारवाद की श्रेणी में रखा है, तो जरा समझिए मेरी विवशता को। पार्टी के अस्तित्व व भविष्य को बचाने व बनाए रखने के लिए मेरा यह कदम जरुरी ही नहीं अपरिहार्य था।
मैं तमाम कारणों का सार्वजनिक विश्लेषण नहीं कर सकता, लेकिन आप सभी जानते हैं कि पूर्व में पार्टी के विलय जैसा भी अलोकप्रिय और एक तरह से लगभग आत्मघाती निर्णय लेना पड़ा था। जिसकी तीखी आलोचना बिहार भर में हुई। उस वक्त भी बड़े संघर्ष के बाद आप सभी के आशीर्वाद से पार्टी ने सांसद, विधायक सब बनाए।
लोग जीते और निकल लिए। झोली खाली की खाली रही। शून्य पर पहुंच गए। पुनः ऐसी स्थिति न आए, सोचना जरूरी था। उन्होंने कहा कि सवाल उठाइए, लेकिन जानिए। आज के हमारे निर्णय की जितनी आलोचना हो, लेकिन इसके बिना फिलहाल कोई दूसरा विकल्प फिर से शून्य तक पहुंचा सकता था।
भविष्य में जनता का आशीर्वाद कितना मिलेगा, मालूम नहीं। परन्तु खुद के स्टेप से शून्य तक पहुंचने का विकल्प खोलना उचित नहीं था। इतिहास की घटनाओं से यही मैंने सबक ली है। समुद्र मंथन से अमृत और जहर दोनों निकलता है। कुछ लोगों को तो ज़हर पीना ही पड़ता है। वर्तमान के निर्णय से परिवारवाद का आरोप मेरे उपर लगेगा।
यह जानते/समझते हुए भी निर्णय लेना पड़ा, जो मेरे लिए ज़हर पीने के बराबर था। फिर भी मैंने ऐसा निर्णय लिया। पार्टी को बनाए/बचाए रखने की जिद्द को मैंने प्राथमिकता दी। अपनी लोकप्रियता को कई बार जोखिम में डाले बिना कड़ा/बड़ा निर्णय लेना संभव नहीं होता। सो मैंने लिया। बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा को बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ओर से जो सीटें दी गई।
उसमें एक सीट पर उन्होंने अपनी पत्नी स्नेहलता को उम्मीदवार बनाया. स्नेहलता चुनाव जीतकर विधायक बनी हैं जबकि रालोमो को कुल 4 विधायक जीते हैं. ऐसे में रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा खुद राज्यसभा सांसद हैं, उनकी पत्नी विधायक हो गई हैं और बेटा दीपक प्रकाश जो न तो विधायक हैं और ना ही एमएलसी वह अब मंत्री बन गए हैं।
बिहार: तीन नए मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग का कार्यभार संभाला
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विभागों का बंटवारा किए जाने के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और जनता दल (यूनाइटेड) के अशोक चौधरी समेत कई मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग का कार्यभार संभाल लिया। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के दीपक प्रकाश ने भी पंचायती राज विभाग का कार्यभार संभाल लिया।
वह न तो विधायक हैं और न ही विधान परिषद (एमएलसी) सदस्य हैं। जायसवाल ने उद्योग विभाग के मंत्री के तौर पर और चौधरी ने ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री के तौर पर काम शुरू किया। जायसवाल और चौधरी दोनों ही राज्य में विधान परिषद सदस्य हैं। जायसवाल ने पदभार संभालने के बाद कहा, “उद्योग विभाग अगले दस दिन में निवेश के लिए एक पूरी रूपरेखा लेकर आएगा।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का जोर बिहार को अगले पांच साल में पूरी तरह से विकसित राज्य बनाना है। युवाओं के लिए, हमारा जोर राज्य में नौकरी के अधिक से अधिक अवसर उत्पन्न करना है।’’ उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग राज्य में पलायन को रोकने की दिशा में काम करेगा।
चौधरी ने कहा कि ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम और मुख्यमंत्री ग्रामीण संपर्क सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि पक्की सड़कें हर बस्ती तक पहुंचें। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि जारी सभी परियोजनाएं समय पर पूरी हों।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार ने इस वर्ष जुलाई में ग्रामीण कार्य विभाग की 21,406.36 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की शुरुआत की, जिससे राज्य में 11,346 सड़कों और 730 छोटे पुलों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।’’ चौधरी ने कहा कि सभी परियोजनाएं निर्धारित समयावधि के भीतर पूरी की जाएंगी।
पंचायती राज विभाग का कार्यभार संभालने के बाद प्रकाश ने कहा, “विकेन्द्रीकरण की अपनी दृष्टि के तहत राज्य सरकार पंचायतों को आवश्यक शक्तियां और अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।” मंत्री ने कहा कि ऐसा कदम पंचायतों को “स्थानीय सरकार की सक्रिय इकाइयों के रूप में कार्य करने” में सक्षम बनाएगा और उन्हें “सशक्त, समावेशी, पारदर्शी और जवाबदेह संस्थाओं” में परिवर्तित करेगा।
उन्होंने कहा, “गांवों को सशक्त बनाना ही पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य है और हम इसी दिशा में कार्य करेंगे।” अन्य नए शामिल मंत्रियों के सोमवार को अपने-अपने विभागों का कार्यभार संभालने की उम्मीद है। जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को यहां एक भव्य समारोह में रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
कुमार (74) के साथ 26 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की। इनमें से 14 भारतीय जनता पार्टी से, आठ जनता दल (यूनाइटेड) से, दो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से, और एक-एक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) से हैं।

