बिहारः NDA में ठनी आपसी रार, केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा क्या उठाएंगे अगला कदम?

By एस पी सिन्हा | Published: November 9, 2018 05:18 AM2018-11-09T05:18:21+5:302018-11-09T05:18:21+5:30

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता माधव आनंद ने कहा है कि तीन पार्टी से कम सीटों पर नहीं बल्कि अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी किसी भी हाल में तीन सीटों से कम पर नहीं मानेगी।

bihar nda clash: upendra kushwaha nitish kumar bjp seat distribution | बिहारः NDA में ठनी आपसी रार, केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा क्या उठाएंगे अगला कदम?

बिहारः NDA में ठनी आपसी रार, केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा क्या उठाएंगे अगला कदम?

बिहार की राजनीति इन दिनों इस बात को लेकर गर्म है कि केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा का अगला कदम क्या होगा? उनकी भविष्य की राजनीति को लेकर पिछले काफी समय से कयास लगाए जा रहे हैं। कारण कि एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर रार और बढ़ गई है। भाजपा और जदयू के बीच फिफ्टी-फिफ्टी सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर एनडीए की सहयोगी रालोसपा खुश नहीं है। रालोसपा को दो सीटें दिए जाने की बात थी, जिसपर पार्टी ने ऐतराज जताया है और रालोसपा की जिद ने घटक दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता माधव आनंद ने कहा है कि तीन पार्टी से कम सीटों पर नहीं बल्कि अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी किसी भी हाल में तीन सीटों से कम पर नहीं मानेगी। दूसरी ओर भाजपा के विधायक नितिन नवीन ने कहा कि सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि सीट शेयरिंग पर रालोसपा और लोजपा को भी समझौता करना होगा। 

रालोसपा और भाजपा के ताजा रुख से जाहिर है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस बीच सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में मची खींचतान पर राजद ने तंज कसा है। पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि भाजपा, लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान और रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा की बेइज्जती कर रही है। 

उन्होंने यह भी दावा किया कि ये दोनों ही पार्टियां जल्दी ही एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हो जाएंगी। बता दें कि अक्टूबर के अखिरी हफ्ते में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बीच मुलाकात हुई थी। इसमें भाजपा और जदयू के बीच 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर समझौता हुआ था। इसके अनुसार दोनों पार्टियां बिहार में 17-17 सीटों पर चुनाव लडेंगे जबकि लोजपा चार और आरएलएसपी दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 

हालांकि इस समझौते पर रालोसपा और लोजपा ने अपनी अंतिम सहमति नहीं दी है। वहीं नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा एक दूसरे पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों ने भी एनडीए के अंदर के विरोधाभास को सामने ला दिया है। दूसरी ओर एनडीए में इस रार पर राजद नजर गड़ाए बैठी है। वह मानकर चल रही है कि बीते अगस्त में रालोसपा प्रमुख ने यदुवंशियों के दूध और कुशवाहा के चावल से खीर बनने का जो बयान दिया था उसके पकने का समय आ गया है।

ऐसे में जानकारों का मानना है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक सबसे ज़्यादा इस बात पर सट्टेबाजी होगी कि आख़िर उपेन्द्र कुशवाहा क्या वर्तमान एनडीए छोड़कर लालू-कांग्रेस के साथ जायेंगे? भाजपा को शायद नीतीश कुमार के वापस साथ आ जाने के बाद अब उनकी उतनी जरूरत नहीं रही। 

भाजपा को बिहार की राजनीति का दो सत्य मालूम हैं- एक बिहार की राजनीति में तीन ध्रुव हैं। पहला खुद भाजपा जिसके साथ अगडी जातियों का समर्थन हासिल हैं, दूसरा नीतीश जिनके ऊपर गैर यादव पिछडी खासकर अति पिछड़ी जातियों के अलावा महादलित समुदाय में किए गये काम से बनाया एक वोट बैंक हैं और तीसरा लालू यादव जिनके साथ यादव-मुस्लिम समुदाय चट्टानी एकता के साथ खड़ा है। 

जहां तक मांझी हैं तो भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव का अनुभव हैं कि उनका प्रभाव केंद्रीय बिहार के कुछ जिलो तक ही सीमित है। उतर बिहार के मांझी उन्हें अपना नेता नहीं मानते। वहीं कुशवाहा अपनी जाति के अभी भी सर्वमान्य नेता हैं कम से कम विधान सभा चुनाव में यह साबित नहीं हो पाया। 

हालांकि इस मामले में वो चाहे नीतीश हों या लालू या भाजपा, रामविलास पासवान को ज्यादा प्रभावी सहयोगी मानते हैं। इसका मुख्‍य कारण यह है कि पासवान वोट रामविलास के इशारे पर ही वोटिंग करता है। जहां तक उपेन्द्र कुशवाहा के राजनीतिक सफर का सवाल है, अभी तक एक बार विधायक वह भी नीतीश कुमार के समता पार्टी से बने। नीतीश ने उन्हें विपक्ष का नेता जैसे महत्वपूर्ण पद भी दिया।

Web Title: bihar nda clash: upendra kushwaha nitish kumar bjp seat distribution

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