बिहार नगर निकाय चुनावः रास्ता अब साफ, सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई, जानिए कब होंगे मतदान और मतगणना
By एस पी सिन्हा | Published: December 6, 2022 06:53 PM2022-12-06T18:53:26+5:302022-12-06T18:54:26+5:30
बिहार नगर निकाय चुनावः पहले चरण के लिए मतदान 18 दिसंबर को होगी और 20 दिसंबर को मतों की गिनती कर रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा
पटनाः बिहार में नगर निकाय का चुनाव होने का रास्ता अब साफ हो गया है। अब तय समय पर ही चुनाव होंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में चल रही सुनवाई टल गई है। यह सुनवाई अगले साल 20 जनवरी को होगी। इससे पहले ही बिहार में नगर निकाय चुनाव संपन्न हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला दिया था कि अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जा सकता है। ऐसे में ये लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट 18 और 28 दिसंबर को होने वाले निकाय चुनाव पर रोक लगा सकता है। बताया जाता है कि नगर निकाय चुनाव मामले में जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा, तब तक बिहार में नगर निकाय चुनाव संपन्न हो जायेगा।
हालांकि इससे पहले 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में एक टाइपिंग मिस्टेक हुआ था और एक्ट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन के बजाय इकोनॉमिकल बैकवार्ड क्लास कमीशन टाइप हो गया था।
लेकिन एक दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नया आदेश निकाल कर कहा कि उसने एक्ट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन ( अति पिछडा वर्ग आयोग) को डेडिकेटेड कमीशन नहीं मानने की बात कही है। बता दें कि बिहार में नगर निकाय चुनाव दो चरणों में होना है। पहले चरण के लिए मतदान 18 दिसंबर को होगी और 20 दिसंबर को मतों की गिनती कर रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
वहीं दूसरे चरण के लिए मतदान 28 दिसंबर को होगी और 30 दिसंबर को मतों की गिनती कर परिणाम जारी किया जाएगा। इससे पहले यह चुनाव अक्टूबर में होने वाला था, लेकिन पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद चुनाव को रद्द कर दिया गया था। बिहार नगर निकाय चुनाव के खिलाफ मीनाक्षी अरोड़ा और राहुल श्याम भंडारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
इसकी सुनवाई अगले साल 20 जनवरी 2023 को होगी। न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश जे के माहेश्वरी मामले में सुनवाई करेंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर गठित हुए अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन मामने से इनकार कर दिया था और सुनवाई के लिए याचिका को योग्य माना था।