Bihar LS Elections 2024: बिहार में 3 सीटों के लिए कांग्रेस ने घोषित किया उम्मीदवारों का नाम, तारिक अनवर लड़ेंगे कटिहार से
By एस पी सिन्हा | Published: March 31, 2024 03:08 PM2024-03-31T15:08:58+5:302024-03-31T15:11:19+5:30
Bihar Lok Sabha Elections 2024: कटिहार से तारिक अनवर पर कांग्रेस ने एक बार फिर दांव लगाया है, जबकि सदानंद सिंह के बाद भागलपुर में कांग्रेस पहली बार अपना उम्मीदवार दे रही है।
पटना: बिहार में महागठबंधन के बीच हुए सीट बंटवारे के बाद कांग्रेस के खाते में आई कांग्रेस 9 सीटों में से पार्टी ने रविवार को 3 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। इसके तहत किशनगंज से मो. जावेद, कटिहार से तारिक अनवर और भागलपुर से अजीत शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया गया है। मो. जावेद 2019 में जीतने वाले इकलौते विपक्षी सांसद थे। वहीं, कटिहार से तारिक अनवर पर कांग्रेस ने एक बार फिर दांव लगाया है, जबकि सदानंद सिंह के बाद भागलपुर में कांग्रेस पहली बार अपना उम्मीदवार दे रही है। कटिहार लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रह चुकी है। यहां से तारिक अनवर चुनाव जीता करते थे।
तारिक अनवर ने 1980 और 1984 लोकसभा में इस सीट पर कांग्रेस से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1996 और 1998 लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत दर्ज की थी। तारिक अनवर एनसीपी से चुनाव लड़े और जीत भी दर्ज की। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर जदयू ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इसलिए जातीय समीकरण को देखते हुए कोई भी पार्टी अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारती है। यहां 41 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता हैं। जबकि 11 प्रतिशत यादव, 8 प्रतिशत सामान्य मतदाता हैं।
वहीं, 16 प्रतिशत वैश्य, 18 प्रतिशत पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग और 6 प्रतिशत अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाता हैं। उधर, किशनगंज लोकसभा सीट में करीब 70 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या है। इसके बाद यादव, सहनी, पासवान, ब्राह्मण, शर्मा, रविदास और मारवाड़ी मतदाता की संख्या है। अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या ज्यादा होने के चलते कोई भी पार्टी यहां से अल्पसंख्यक उम्मीदवार को ही चुनावी मैदान में उतारती है। ये वो सीट है, जहां मोदी लहर भी काम नहीं करती है। 2009 में कांग्रेस नेता मोहम्मद असरारुल हक सांसद बने। 2014 में कांग्रेस के मोहम्मद असरारुल हक सांसद चुने गए।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से मोहम्मद जावेद ने जीत दर्ज की। इस बार मो. जावेद की टक्कर जदयू उम्मीदवार मो. मुजाहिद से होगी। उधर, भागलपुर में राजद ने अपनी दावेदारी छोड़ी और कांग्रेस यहां लंबे अरसे बाद फिर एक बार अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतार रही है। कांग्रेस ने इस सीट से विधायक अजीत शर्मा को मैदान में उतारा है। अजीत शर्मा भागलपुर के स्थानीय विधायक भी हैं। सियासी इतिहास की बात करें तो भागलपुर विधानसभा में लगातार कांग्रेस को जीत मिलती आई है और वर्तमान में कांग्रेस के ही विधायक हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी सुनिश्चित करने में ही कांग्रेस को यहां कई साल लग गए।
इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने सदानंद सिंह को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी सदानंद सिंह यह चुनाव हार गए थे। 1991 में भी जनता दल के प्रत्याशी चुनचुन यादव ने उन्हें बड़े अंतराल से हराया था। भागलपुर लोकसभा सीट एक समय कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1957 से बनारसी प्र. झुनझुनवाला और भागवत झा आजाद जैसे सांसद कांग्रेस के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे। 1984 तक नौ टर्म के चुनाव में इस सीट से 7 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
1952 में जेबी कृपलानी को जनता ने स्वीकार किया तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद ने 5 बार इस सीट से जीत दर्ज की। लेकिन 1989 से यहां कांग्रेस का किला ढहना शुरू हो गया। उसके बाद चुनचुन यादव जनता दल से तो उनके बाद भाजपा और माकपा और राजद व जदयू के उम्मीदवार जीतते रहे। अब कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा की सीधी टक्कर यहां एनडीए के लिए मैदान में उतरे जदयू के उम्मीदवार सह वर्तमान सांसद अजय कुमार मंडल से होगी।