लोजपा छोड़ बीजेपी में लौटे राजेन्द्र सिंह, उषा विद्यार्थी, रामेश्वर चौरसिया और मनोज सिंह, 2020 विधानसभा चुनाव में मिली थी करारी शिकस्त
By एस पी सिन्हा | Published: February 2, 2022 08:59 PM2022-02-02T20:59:23+5:302022-02-02T21:00:21+5:30
रामेश्वर चौरसिया भाजपा के टिकट पर नोखा विधानसभा से तीन बार विधायक रह चुके हैं. काफी लंबे समय से उनके भाजपा में वापसी की संभावना जताई जा रही थी.
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को अलविदा कहकर लोजपा में शामिल हुए भाजपा नेताओं की घर वापसी शुरू हो गई है. पहले राजेन्द्र सिंह फिर उषा विद्यार्थी के बाद आज पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया और सीवान से चुनाव लडने की तैयारी कर रहे मनोज सिंह फिर से भाजपा में शामिल हो गए हैं.
बिहार भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने दोनों नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इसतरह से भाजपा अपने पुराने नेताओं की घर वापसी कराते हुए संगठन को लगातार मजबूत बनाने में जुटी है. रामेश्वर चौरसिया बिहार भाजपा के एक बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं. 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर उन्होंने लोजपा का दामन थाम लिया था.
लेकिन रामेश्वर चौरसिया को इसका कोई लाभ नहीं हुआ और उन्हें चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. चुनाव परिणाम जारी होने के दो माह बाद ही उन्होंने चिराग पासवान की लोजपा से अपने रिश्ते तोड लिए थे. रामेश्वर चौरसिया भाजपा के टिकट पर नोखा विधानसभा से तीन बार विधायक रह चुके हैं. काफी लंबे समय से उनके भाजपा में वापसी की संभावना जताई जा रही थी.
इसी तरह मनोज सिंह की भाजपा में वापसी हो गई है. मनोज सिंह के सीवान से विधान परिषद चुनाव लड़ने की चर्चा है. इस मौके पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि रामेश्वर चौरसिया पार्टी में लंबे अरसे से काम करते रहे हैं. इन्होंने पार्टी में बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के कई दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया है.
विगत विधान सभा चुनाव में ये कुछ समय के लिए पार्टी से चले गये, लेकिन पुनः पार्टी के विचारों एवं सिद्धांतों के प्रति अपनी आस्था रखते हुए भाजपा परिवार में शामिल हो गये. इनके आने से संगठन को मजबूती मिलेगी. वहीं, मनोज सिंह भी पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे.
उनका भी पार्टी में स्वागत है. वहीं, पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया ने पार्टी में पुनः शामिल होने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि मैं पार्टी से 35 वर्षों से जुडा हुआ हूं. थोड़े समय के लिए अलग हुआ, लेकिन भाजपा की विचारधारा और कार्यशैली मुझे पुनः अपने घर वापसी के लिए मजबूर कर दिया. मैं आगे संगठन द्वारा दिये गये सभी दायित्वों को पूर्ण मनोयोग से निभाने का प्रयास करुंगा.
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा के कई नेता लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. चिराग पासवान ने भाजपा के इन नेताओं को जदयू उम्मीदवार के खिलाफ मैदान में उतारा था. नतीजा यह हुआ कि सभी जगहों से जदयू उम्मीदवारों की हार हो गई. वोटों के विभाजन की वजह से जदयू को कई सीटों का नुकसान हुआ था. जदयू खिसकर छोटे भाई की भूमिका में आ गई.
विधानसभा चुनाव 2020 में सहयोगी दल भाजपा के 74 विधायक जीत कर आये. वहीं जदयू के खाते में महज 43 सीटें आई. जदयू नेतृत्व अब तक कई दफे इस गुप्त मिशन का खुलासा भी कर चुका है. जदयू नेताओं का मानना है कि हमारे उम्मीदवारों हार नहीं बल्कि विशेष रणनीति के तहत हराये गए हैं. जदयू सीधे तौर पर भाजपा-लोजपा के गुप्त मिशन को मुख्य वजह बताती है.