बिहार विधानमंडल की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ी, सदन में गूंजे ये मुद्दे
By एस पी सिन्हा | Published: July 6, 2019 05:54 AM2019-07-06T05:54:29+5:302019-07-06T05:54:29+5:30
विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू होने पर राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम से हुई बच्चों की मौत को लेकर सवाल किया. सवाल पूछे जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जवाब देना शुरू किया. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया.
बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र में शुक्रवार प्रथम पाली की कार्यवाही महज 4 मिनट 23 सेकेंड में ही समाप्त कर दी गई. विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने पर राजद सदस्यों ने जमकर हंगामा किया और वेल तक पहुंच गए.
विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू होने पर राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम से हुई बच्चों की मौत को लेकर सवाल किया. सवाल पूछे जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जवाब देना शुरू किया. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया.
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदस्यों से शांत रहने की अपील की. लेकिन, विपक्षी दल के सदस्य हंगामा करते हुए वेल तक पहुंच गये और नारेबाजी करने लगे. कुछ देर के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दो बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी.
वहीं, विधान परिषद में सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा प्रणाली को लेकर सत्तापक्ष के सदस्यों ने ही मंत्री को घेरा. भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने शिक्षा मंत्री कृष्णंदन प्रसाद वर्मा से कहा कि आप अपने बेटे का नामांकन सरकारी स्कूल में कराएं. साथ ही उन्होंने कहा कि जो अधिकारी सरकारी स्कूलों को अपटूडेट होने की बात बता रहे हैं, उन्हें भी अपने बेटे का नामांकन सरकारी स्कूलों में कराने को कहें. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की हकीकत का पता चल जायेगा.
उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है. इसके लिए सरकार के अधिकारी दोषी हैं. शिक्षामंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर सरकार चिंतित है. हम इस दिशा में काम कर रहे हैं.
इसके साथ ही इस मुद्दे को लेकर सियासत तेज हो गई है. सत्ता पक्ष जहां इसके लिए विपक्ष पर आरोप लगा रहा है. वहीं विपक्ष इसके लिए शासन पक्ष को जिम्मेवार करार दे रहा है. विपक्ष ने तो सरकार की नीयत पर ही सवाल खडे कर दिए हैं और सरकार पर गरीब जनता की समस्याओं से भागने का आरोप लगाया है.
हालांकि, सत्ता पक्ष यही दलील दे रहा है कि सदन के अध्यक्ष ने विपक्ष के हंगामें को देखते हुए यह निर्णय लिया गया. ससंदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने विपक्ष पर सदन की कार्यवाही बाधित करने और जनता की गाढी कमाई को बर्बाद करने का आरोप लगाया है. ऐसा ही आरोप भाजपा विधायक नितिन नवीन ने भी राजद और कांग्रेस विधायकों पर लगाया.
वहीं, श्रवण कुमार के इस आरोप पर बिना समय हुए ही राजद विधायक राजेन्द्र राम ने जोरदार पलटवार करते हुए तमाम आरोपो को एक सिरे से न सिर्फ खारिज कर दिया. उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि सत्ताधारी दल के लोगों को जनता से जुड़े समस्यों से कोई मतलब ही नहीं है. जब भी हम लोग जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दे को अदन में उठते हैं. ये लोग ऐसे ही सदन की कार्यवाही को खत्म करवाकर अपनी लाज बचाते हैं.
सदन में मौजूद कांग्रेस विधायकों ने भी सदन की कार्यवाही इतने अल्प अवधि में खत्म किये जाने पर सवाल उठाया है. विधायक भावना झा ने कहा इससे कई गुणा अधिक हंगामा पहले भी हो चुका है और उस हंगामें के बीच सदन की कार्यवाही चलती रही है, लेकिन आज न जाने क्यों सदन की कार्यवाही महज 4 मिनट 23 सेकेंड में समाप्त कर दी गई?